क्या आप जानते है कि पहले समय में लोग चुटिया क्यों रखते थे या कान छिदवाने से क्या लाभ होता है या जमीन पर बैठ कर खाना खाने से क्या फायदा होता है या घर पर तुलसी लगाने का कोई फायदा है या नही… आईए जाने इसी से जुडी कुछ बातें और उसके पीछे छिपे वैज्ञानिक तर्क ….
क्या आप जानते हैं कि कान छिदवाने की परम्परा के पीछे क्या वैज्ञानिक तर्क है. वो ये हैं कि कान छिदवाने से सोचने की शक्तित बढ़ती है। डॉक्टरों का भी मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।
माथे पर कुमकुम या तिलक लगाने का भी वैज्ञानिक तर्क है और वो ये कि आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है और कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है.
भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात मानी जाती है।
वैज्ञानिक तर्क के अनुसार जमीन पर बैठ कर भोजन करने से, आलथी पलती मारकर बैठने से जोकि एक प्रकार का आसन है. इस पोजीशन या आसन में बैठने से मस्तिाष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही खुद-ब-खुद दिमाग से एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये।
हाथ जोड़कर नमस्ते करने के पीछे भी वैज्ञानिक तर्क है वो ये कि जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आती हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्तिर को हम लंबे समय तक याद रख सकें। वैसे दूसरा तर्क यह भी कह सकते हैं कि शैक हैंड के बजाये अगर हम नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा। जोकि फायदेमंद ही रहेगा.
अक्सर भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से किया जाता है और इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है और खाने के अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।
सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा के पीछे भी वैज्ञानिक तर्क ये है कि
पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।
पुराने समय में ऋषि मुनि सिर पर चुटिया रखते थे। कई बार आपको पंडित लोग आज भी चुटिया लिए मिल जाएगें. इसका वैज्ञानिक तर्क ये है कि जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे दिमाग स्थििर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता, सोचने की क्षमता बढ़ती है।
व्रत रखने का बहुत क्रेज है लेकिन इसके पीछे भी वैज्ञानिक तर्क ये भी है
व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानि उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों, मधुमेह, आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते। तुलसी के पूजन को अहमियत देने के पीछे भी वैज्ञानिक तर्क ये है कि
तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्तिकयों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं।
क्या आप जानते है … आपको कैसा लगा अगर आपके पास भी कुछ बताने को तो जरुर शेयर करें …
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