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1. Online Shopping

Off तो नही कर रही  Online Shopping ???  कल कुछ लोगों से बात हो रही थी. बात शापिंग तक जा पहुंची और फिर ओन लाईन शापिंग पर जा कर ठहर गई और फिर एक धंटा इसी पर चर्चा होती रही. दो गुट बन गए. एक को इसमे अच्छा अनुभव नही रहा और दूसरा बहुत खुश है कि आन लाईन शापिंग किसी वरदान से कम नही.एक ने बताया कि टीशर्ट ही दूसरी भेज दी और टाप्स मगवाए तो उसके नग ही निकले हुए थे. वापिस तो हो गए पर तनाव भी तो हुआ.उसकी भरपाई कौन करेगा वही दूसरे ने बताया कि ओन लाईन से खुद जाने का खर्चा बचता है.आफर मे कई बात चीजे फ्री भी मिल जाती है.वो बहस किसी न्यूज चैंनल की बहस से कम नही थी. एक दूसरे की बात काट रहे थे. कोई अरनब बन रहा था तो कोई सम्बित पात्रा और अंत में बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे बहस खत्म हो गई. वैसे आपको Off तो नही करती Online Shopping ?

इनंटरनेट के जमाने में जहां बेशुमार सोशल नेटवर्किंग साईटस हैं वही साईटस के साथ साथ चलते हैं लुभावने विज्ञापन… कम दाम में हमें वो घर बैठे बैठाए शापिंग करवा देते हैं तो बुराई क्या है. Online Shopping men   on line shopping women, on line shopping clothing,on line shopping teens,on line shopping cart, on line shopping sites  ढेरो हैं बेशुमार हैं

Online Shopping से पहले अगर हम जरा सी सतर्कता बरते तो यकीनन लाभ ही होगा. इस पर मैने नेट पर बहुत सर्च किया बहुत लोगों से बात की तब कुछ बाते सामने आई जिसका अगर हम ख्याल रखें तो बचाव हो सकता है.

मोबाइल से शॉपिंग में बेहतर रहेगा कि संबंधित साइट का App डाउनलोड कर उसके माध्यम से खरीदारी करें। आमतौर पर फर्जी शॉपिंग साइटों का मोबाइल app नहीं होता. पहली बार जिस साइट का नाम सुना हो उससे दूर ही रहें तो अच्छा होगा Web site कब  बनी होने की तारीख भी जरुर  देख लें. नई बनी  site से परहेज करना चाहिए.

एक जरुरी बात ये भी  कि किसी प्रोडक्ट की स्पेलिंग आदि में गलती दिखे तो  सावधान हो जाएं कई बार मिलता जुलता नाम हमें चक्कर में डाल देता है. ऑनलाइन पेमेंट करने की जगह कैश ऑन डिलीवरी का ऑप्शन चुनें  तो ज्यादा सही रहेगा.
अकसर विज्ञापनों के माध्यम से कई बार कोई ब्रांडेड सामान बेहद ही सस्ता दिखता है तो हम लेने के लिए बैचेन हो जाते हैं पर ऐसे में सतर्कता दिखानी ज्यादा जरुरी है. सावधानी ज्यादा जरुरी है. जिस साईट का अपना  नाम हो कोई अहचान हो  वो साइट डिस्काउंट  दे तो ज्यादा सोच नही होनी चाहिए.
शॉपिंग के logo … lable  पर क्लिक करें अगर पेज refresh हो तो सही अगर ऐसा न हो तो सतर्क हो जाएं

Shopping करते वक्त अपनी खरीदारी से संबंधित रिकार्ड का प्रिंट निकाल लें, कई बार धोखाधड़ी होने पर ये काम आता है.
किसी साइट पर जरूरत से ज्यादा जानकारी बिल्कुल न दें और डेबिट कार्ड की जगह कम लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड से करें
web sites पर शापिंग करने से पहले अच्छा  है कि उसका  रिव्यू पढ़ लें
इंटरनेट पर मौजूद किसी भी साइट के URL में यदि http की जगह https लिखा हो तो वह विश्वसनीय है
यूआरएल से पहले पेडलॉक भी उसके सेफ होने की निशानी है

आजकल Online Shopping करने का ट्रेड बढता जा रहा है। लोग बिना सोचे समझे Online Shopping करते है जिसके कारण कभी कभी उन्हें नुकसान भी उठाना पडता है। वहीं Online Shopping  करने से स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पडता है।

लोग घंटों ऑनलाइन शॉपिंग करते रहते है। जब हद से ज्यादा on line shopping की आदत हो जाती है तो ये लत बन जाती है। हम इस लत के चलते ऐसी चीजें भी खरीद लेते है जिसकी जरूरत हमें कभी नहीं पडती वहीं पैसे की बर्बादी भी होती है और बार हम मानसिक तनाव से भी घिर जाते हैं.

मास्टरकार्ड Online Shopping सर्वे 2014 के मुताबिक, पिछले तीन महीनों में कम से कम एक बार ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों की संख्या 2012 में 70.9 फीसदी थी, जो 2014 में बढ़कर 94 फीसदी हो गई।

off तो नही कर रही Online Shopping ???

 

 Online shopping fraud can spoil your shopping

ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स के आने के साथ ही इंटरनेट पर प्रोडक्ट्स, सर्विसेस, फ्री ऑफर्स, डिस्काउंट कूपंस आदि की भरमार आ गई है। एक समय था जब ऑनलाइन शॉपिंग से लोग डरते थे, लेकिन आज यह जरूरत बन गई है, क्योंकि यह आपको सहूलियत देती है। जब आप ऑनलाइन खरीदारी करते हैं और अपने घर बैठे-बैठे पेमेंट करते हैं और फिर अपने प्रोडक्ट या सर्विस के आप तक पहुंचने का इं तजार करते हैं। अगर विश्वसनीय ई-टेलर से खरीदारी की है तो आप अपने प्रोडक्ट का लुत्फ उठाते हैं और अगर किसी फर्जी वेबसाइट के हत्थे चढ़ गए हैं तो आपका समय और पैसा दोनों बर्बाद जाता है। इस तरह के फ्रॉड के किस्से इन दिनों बढ़ रहे हैं। आईए जानते हैं किस तरह ऑनलाइन शॉपिंग में होता है फ्रॉड और कैसे इससे बच सकते हैं। Read more…

Online shopping photo

Webdunia Hindi

वेबदुनिया डेस्क अब यह किसी साइंस फंतासी या अरेबियन नाइट्स की कहानी नहीं रही, अब सच में जमाना आ गया है जब सिर्फ छूने (स्क्रीन) या बटन दबाने भर से आपको अपनी पसंददीदा वस्तुएं दरवाजे पर मिल जाती हैं। भारत सहित दुनियाभर में शुरू हुई इंटरनेट क्रांति अपने चरम पर पहुंच चुकी है।

पॉकेट इंटरनेट (या मोबाइल इंटरनेट) के इस युग में अब आपका मोबाइल फोन जादुई चिराग का काम करने लगा है और ऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग, ट्रेवल आदि साइट्स जिन्न की भूमिका निभा रहे हैं। हां, इसके लिए पैसा जरूर देना होता है लेकिन प्रतिस्पर्धा के चलते अब ग्राहकों को फायदे वाली योजनाओं का लाभ मिलने के अवसर भी बढ़ गए हैं। अब सवाल उठता है कि क्या ऑनलाइन सेल और शॉपिंग की अप्रत्याशित सफलता सही मायनों में भारत की बढ़ती आर्थिक क्षमता को प्रतिबिम्बित करती है? या यह 90 के दशक के इंटरनेट बूम जैसा एक छलावा सिद्ध होगी? जो भी हो अब यह निश्चित है कि इसका दूरगामी प्रभाव होगा। यह कितना लाभदायक या नुकसानदेह है इसका पता तो आनेवाले समय में चलेगा। 6 अक्टूबर को एक ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट ने ‘बिग बिलियन डे’ के नाम से एक ऐसी स्कीम दी जिसमें 90 प्रतिशत की छूट दी गई। इसका तात्कालिक परिणाम यह रहा कि भारतीय खुदरा बाजार में हड़कंप मच गया और छोटे-बड़े व्यापारियों ने सरकार से मदद मांगी। व्यापारियों की गुहार के बाद भारत सरकार ई-कॉमर्स कारोबार को लेकर कोई ठोस नीति बनाने पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि इससे पहले, व्यापारियों की एक संस्था कॉन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआइटी) ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से ऑनलाइन कारोबार की जांच की मांग भी की थी। लेकिन देखा जाए तो पता चलता है कि अब आने वाले दिनों में भारतीय बाजार बेहद मुश्किल और परिवर्तन के दौर से गुजरने वाला है। पहले से ही बेहद कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले भारतीय बाजार में अब फ्लिपकार्ट, स्नैप-डील और अमेज़न जैसी कई कंपनियां तेजी से ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। गौरतलब है कि फ्लिपकार्ट ने दावा किया है कि 6 अक्टूबर को उसने 600 करोड़ रुपए का कारोबार किया जो कंपनी के पिछले साल के कुल एक अरब डॉलर के कारोबार के मुकाबले असाधारण है। अगले पन्ने पर, ऐसे मुनाफा होता है ई-कॉमर्स साइट्‍स को… See more…

Online Shopping … अगर आपके भी इस बारे में कोई सुझाव हो तो सादर आमंत्रित हैं हो सकता है आपके दिए सुझाव से किसी का भला हो जाए या तनाव कम हो जाए :)

The post Online Shopping appeared first on Monica Gupta.

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