जेबो में भरके वो आँसू, कहते है येतो नाम है,
ना बोले वोकभी प्यार से, पर दिल मेंबसता राम है,
हैरां हूँ मैंयह देख कर, गिरने कि हदभी गिर बैठी,
हंसते है अबवो देख के, जब भी होताकोई काम है,
कैसी फ़ितरत हम बनाबैठे, जो देखेरह जायें हैरान,
बिन खोले आँखेखुद से हम, हर कोने मेंबदनाम है,
सोचा था मिलजाएगा वो, जोसच का हीबस साथी हो,
पूछा हमने जबरस्ता तो, वोबोले वो गुमनामहै,
बस ठाना थाअब दिल मेये, कि ढूँढके उसको लाऊंगा,
जब कदम पड़ेदो धूप में, सोचा बेहतर आरामहै,
फिर भी निकलामैं निश्चय से, घर बार सभीछोड़ा मैने,
देखे पत्थर तो मानाये, इस पीड़ाका ना बामहै,
टूटा दिल मेराभूख से, समझाकि क्यूँ अपराधहै,
राहों में देखेदर ऐसे, नाजाने जो क्याआम है,
देखी हिम्मत, देखा पैसा, देखा इन्सा कैसाकैसा,
घर कि हालततो खाली है, सड़कों में लेकिनजाम है,
सोचा कि ताक़तदेखूं मैं, इनसब लोगो सेमिल मिल के,
जब गहराई से पहचाना, तो पाया टूटेतमाम है,
भूला था खुदइस जग कोमैं, कुछ करनेकी अब चाहतथी,
जब देखा मैनेकब्रिस्तान, ये जानाकि सब आमहै,
हैरानी में डूबाथा मैं, नासमझा क्या होगा'ए दोस्त',
जब अंधेरा गहरा साथा, मैं समझाकि हल श्यामहै ||
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