डेंगू का कहर
डेंगू का कहर….
सभी कहते हैं डेगू का कहर .. डेंगू का कहर … असल में, कहर तो जनता ने ढाया हुआ है गंदगी का तभी तो हमे आना पडता है बार बार भारी मात्रा में … सम्भल जाओ लोगो अन्यथा ….
हर साल चुपके से आपके घर में घुस आने वाला डेंगू का वाइरस मच्छरों की एडीज़ प्रजाति में पनपता है। किसी मरीज को डेंगू है या नहीं इसका पता करने के लिए होने वाले टेस्ट का खर्च प्राइवेट अस्पतालों में एक से डेढ़ हजार रुपये है।
http://khabar.ndtv.com/news/india/of-dengue-virus-and-the-vaccine-is-not-1218369
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Diet Plan
Nutrition Tips
बात कुछ दिनों पहले की है. मैं अपनी सहेली मणि के घर पर थी. मणि के पति का जन्मदिन हाल ही में गया है और मणि का जन्मदिन आने वाला है तो हम बैठ कर खाना डिसाईड कर रहे थे कि उस दिन क्या क्या बनेगा. मणि को खाने का बहुत ज्यादा शौक तो नही है पर कम भी नही है. आलू पूरी, छोले भठूरे, टिक्की, फ्रूट क्रीम, फलूदा कुल्फी ही पसंद है बस … ह हा हा !!! मैं इसलिए हंसी क्योकि आप यही सोच रहे हो कि बस !!! हां तो मैंने खाने की बात करते करते मणि से कहा कि केक मेरी तरफ से होगा. इस पर मणि बोली कि अरे नही !!! पिछ्ले साल भी बेटे ने केक online order कर दिया था और दो दो केक खाने मुश्किल हो गए थे इसलिए इस बार उसने मुझे केक के लिए मना कर दिया. वैसे वो केक बहुत ही स्वादिष्ट था.पाईनएपल केक का सुनते ही मेरे मुंह में भी पानी आ गया. असल में, आज भी केक पर लगे पाईनएपल के लिए मेरी और मणि की बच्चों की तरह लडाई होती है. बच्चे घर पर हो तो हम कंट्रोल कर लेते हैं नही तो …!!
हम बात कर ही रहे थे कि तभी मणि के बेटे का फोन आ गया वो फिलहाल विदेश में किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में गया हुआ है.मणि उससे बात करने लगी. ज्यादा समझ तो नही आया पर महीने के हाव भाव से लग रहा था कि कुछ हैरानी और टेंशन की बात है वो मना कर रही थी और थोडी देर बात करने के बाद फोन रख दिया. मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि फंस गए!! अरे !! क्या हुआ? वो बोली कि अभी किसी dietician का फोन आएगा और वो मेरा और इनका (मणि के पति) का सारा डाईट प्लान और हिस्ट्री पूछेगी… मैने हैरानी से पूछा कि यानि !!! किसलिए ??? हुआ क्या!!! मणि ने बताया कि उसके बेटे ने एक साल के लिए देश की जानी मानी डाटिशियन को बुक किया है अब उसके बताए खाने के हिसाब से चलना होगा. उससे पहले अलग अलग blood test करवा कर भेजने होंगें जिससे शरीर के भीतर क्या क्या हो रहा है पता चल सके. उसके आधार पर वो क्या खाना है और नही खाना वो बताएगें. कोर्स भी बहुत महंगा है पर बेटे ने ज्वाईन करवा दिया. बस मेल और फोन पर बात होगी और उनके कहे अनुसार चलना होगा.
मैने सोचा कि मणि के बेटे ने ऐसा क्यों किया. उसने बताया जब पिछ्ली बार मिले थे तो बेटा गुस्सा हो रहा था कि आप और पापा दोनो मोटे हो रहे हो जरा अपना ख्याल रखो … शायद इसी वजह से… वो बता ही रही थी तभी उसके मोबाईल पर फोन आया जोकि true caller में डाईटिशियन का ही नम्बर आ रहा था. मैं उठने को हुई तो मणि ने हाथ पकड कर रोक लिया. मैं फिर बैठ गई. लगभग 15 मिनट बाद हुई दोनों की और मणि ने फोन रखने के बाद बताया कि वो मेल भेज रहे हैं उसके हिसाब से आठ दस टेस्ट करवा कर उनको भेजने हैं blood group और weight भी फिर उसी हिसाब से वो क्या खाना है क्या नही खाना वो बताते रहेंगें. हम दोनो के मन में अजीब सा तनाव था कि ना जाने क्या होगा.
शाम को मणि घर आई तो थोडा रिलेक्स थी. जब वो और उसके पति उनके बताए सारे blood test करवाने गए तो लैब के डाक्टर जानकार मित्र थे. उनके पूछ्ने पर मणि ने बेटे की सारी बात बताई तो डाक्टर बहुत खुश हुए और बोले बहुत ही अच्छी बात है आप तो ये मान कर चलिए कि आपके बेटे ने आप दोनो की दस दस साल उम्र बढा दी. आपके बेटे ने बहुत सही सोचा. हम भारतीय लोगो का खान पान बहुत बिगडा हुआ है और उसी वजह से सारी बीमारियां होती है… जाते जाते उन्होनें यह भी कहा कि उन्हें भी Diet Plan जरुर भेजिएगा कि वो क्या और किस तरह का डाईट प्लान बनाते है वो भी इसे जरुर ज्वाईन करना चाहेंगें.
Diet Plan
शाम को सारी रिपोर्ट मिल गई खुश किस्मती यह भी रही कि सारे टेस्ट नार्मल रेंज में थे. और अब शुरु होना था उनका डेली डाईट प्लान Diet Plan. आज सुबह मैं खीर बना रही थी पर अनमने भाव से क्योकि जब भी खीर बनाती मणि को जरुर दे कर आती पर अब वो तो नही खाएगी … मैं भी क्या करुंगी खीर बना कर . तभी मणि का फोन आया कि तेरे पास किसी का फोन आया . मैने कहा कि नही तो किस का आना है ???… वो हंसने लगी और बोली अगर मेरा बेटा दूर बैठे अपने मम्मी पापा का इतना ख्याल रख सकता है तो क्या मैं पास बैठी सहेली के लिए इतना भी नही कर सकती … तेरा जन्मदिन भी तो आ रहा है … !!!क्या !! बता न…!!! क्या बात है … मेरी उत्सुकता बढती जा रही थी. वो बोली कि उसने dietician को मेरा नम्बर दे दिया है … क्या मैने कहा !! अरे नही !!! मैं तो बिल्कुल ठीक हूं मुझे जरुरत नही है और ये कंट्रोल वंट्रोल मुझसे नही होगा…. और ये एक साल का पैकेज महंगा भी तो है … प्लीज मना कर दे .. प्लीज … प्लीज .. !!वैसे भी मुझसे कंट्रोल भी नही होता !!! इतने में मेरे मोबाईल पर दूसरा फोन आ रहा था…शायद ये वहीं से था. अब मैं भी उससे बात कर रही हूं और अपने बारे मे सारी जानकारी दे रही हूं… !!!
इस बात को हफ्ता हो गया है और मणि के अनुभव को देखते हुए और उसकी खुशी को देखते हुए मुझे भी लग रहा है कि over weight के कम होने wait नही करनी चाहिए अपने शरीर का ख्याल रखना चाहिए. खासकर खाने के मामले में तो बहुत जरुरी है. असल में, हमारी Indian eating habits आदतें बहुत खराब है जोकि जाने अंजाने शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं… और अगर इस पर कंट्रोल हो गया तो मन वैसे ही प्रफुल्लित रहेगा.. वैसे आप कैसे हैं … !!! Fitness का कितना ख्याल रख रहें हैं आप ?? सेहत यानि health के लिए Healthy Eating बहुत जरुरी है …
ह हा हा … अभी तो शुरुआत ही हुई है मेरी और मैं समझाने भी लग गई आपको …
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ट्रैनिंग के दौरान प्रेरकों को प्रेरित करके उनमें नया जोश पैदा करती हुई
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अचानक फोन घनघना उठे … सभी की राजी खुशी की खबर पूछे जाने लगी … बहुत खुशी है कि भूकम्प को बहुत से फेसबुक मित्र हल्के मे ले रहे हैं और मजाक भी कर रहे हैं. सच पूछो तो इस तरह की प्राकृतिक आपदाए हिला कर रख देती है.. इस पर अपना जोर नही चल सकता बस इतना ही कह सकते है कि … ईश्वर सभी को ठीक रखें …
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एक खबर की खुदकुशी ….
जंतर मंतर पर किसान रैली चल रही थी और मैं अन्य दर्शकों की तरह टीवी पर खबर देख रही थी. बेशक, बीच बीच में चैनल भी बदल रही थी कि अचानक कुछ ऐसा दिखाया जाने लगा कि रिमोट एक तरफ रख कर मैं नाखून चबाते हुए रैली का प्रसारण लगातार देखने लगी. यकीनन नजरे मेरी थी पर मीडिया की आखों से देख रही थी जो दिखाया जा रहा था वही देख रही थी और देखते देखते मेरे मन मे सिर्फ एक ही बात आ रही थी प्लीज केजरीवाल जी, भाषण बंद कीजिए और उस किसान के साथ अस्तपाल जाईए… और फिर बार बार बार बार कुमार विश्वास का सीन दिखाना लटक गया के बाद उनका इशारा करना … दिमाग खराब हो चुका था कि यह सब आम आदमी पार्टी कर रही है फिर आशुतोष का यह कहना कि अगली बार ऐसा होगा तो … बार बार दिखाए जाने पर मेरा मन आम आदमी पार्टी के प्रति बिल्कुल बदल चुका था. खुद भी पत्रकार रही हूं इसलिए हर बात को गौण करते हुए एक ही बात बार बार मन मे आ रही थी कि केजरीवाल जी को उस समय पेड के पास चले जाना चाहिए था या भाषण रोक कर मंच से ही अपील करनी चाहिए थी जैसाकि मोदी जी ने एक रैली के दौरान दो युवको से की थी (ये भी मैने एक खबर में देखा था) पर पता नही उस समय मंच पर क्या चल रहा था क्या नही पर जो हुआ ठीक नही हुआ और मन में कडवाहट् भर गई.
सारे चैनल आप पार्टी को दोष देने लगे और उनका लगातार इसी खबर पर फोकस रहा. फिर धीरे धीरे पता चला कि मृतक व्यक्ति आर्थैक रुप से कमजोर नही थे जो उनकी आत्महत्या की वजह बनता. जो पर्ची चैनल वाले को मिली उस पर यही लिखा था कि उनके पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया था. खेती उजड गई है. तीन बच्चे हैं अब वो घर वापिस कैसे जाए. अब यह बात भी सामने आ रही है कि वो लिखावट उनकी नही थी. तो पत्र किसने लिखा ??? एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक मरने से कुछ देर पहले तक उन्होने पेड पर से बहुत पोज दिए. पेड पर बैठे बैठे चिल्ला भी रहे थे अपना ध्यान लोगो की तरफ करने के लिए उन्होनें गले मे गमछा लपेट कर दूसरा सिरा टहनी से कस दिया ताकि वो फोकस मे आ जाए पर इस बीच उनका दाया पैर फिसल गया. और जो हुआ हमारे सामने है. निसंदेह जो हुआ बहुत दुखद था.
घटना से कुछ देर पहले उन्होनें फोन करके अपने घर यह भी सूचना दी थी कि वो रैली वाली खबर पर टीवी पर आएगें. अब बात आती है मंच पर बैठे लोगो की. जिनके अनुसार पेड पर क्या हो रहा है दिखाई नही दे रहा था पर हलचल जरुर हो रही थी. लगातार मृतक व्यक्ति पोज दे देकर फोटो भी खिंचवा रहा था जोकि हम सभी ने टीवी पर देखा. मेरा प्रश्न आप सभी से ये है कि जो लोग उस समय उस व्यक्ति के पास खडे थे जो उसे देख रहे थे चाहे पब्लिक हो, पुलिस हो क्या उनका कुछ फर्ज नही था. क्या मीडिया वाले उसे नीचे लाने की अपील नही कर सकते थे … कि सभी को चटपटी खबर मिल रही थी इसलिए मजा ले रहे थे. मेरे विचार से ,मंच पर बैठे लोगो से पहले गुनहगार वो लोग हैं जो उस व्यक्ति को देख कर फोटो ले रहे थे, देख रहे थे और मसालेदार खबर बना कर पेश करे जा रहे थे.
जाने माने पत्रकार राहुल कंवल ने टवीट किया कि जो पत्रकार नेताओ पर आरोप लगा रहे हैं वो जरा देर रुके और खुद से पूछे कि हममें से कोई उस वक्त कोई मदद के लिए आगे क्यों नही आया.
मात्र एक पार्टी को निशाना बना कर राजनीति करना सही नही है आप पार्टी अपनी गलती मान रही है और रो भी रही है पर इससे भी चैनल वाले संतुष्ट नही. कल फिर एक चैनल वाला साईट पर खडा होकर बता रहा था कि मंच से ये पेड बहुत दूर था. कुछ दिखाई देन असम्भव नही था. क्या ये बात वो पहले दर्शको तक नही पंहुंचा सकते थे इतना ही नही एक चैनल वाले ने बताया कि वो वसुंधरा राजे , भाजपा के खिलाफ नारे बाजी कर रहा था. जिस बात को उछाला नही गया पर वही आज तक पर आशुतोष फफक कर रो पडे और अंजना संवेदनहीन होकर प्रश्न पूछती रही. बार बार बार बार यही दिखाया गया. वही कांग्रेस और भाजपा की प्रसन्नता मन ही मन छिपाए नही छिप रही क्योकि अब खुले आम उन्हें आप पर ऊंगली उठाने का मौका मिल गया.
कुछ देर पहले एक बहुत छोटी से खबर दिखाई कि मृतक के परिवार वाले कह रहे थे हमे जबसे ये खबर दिखाई है कि आप पार्टी बार बार पेड पर चढे व्यक्ति कि उतारने की अपील कर रही थी. पुलिस को बोल रही थी. अब हमे लग रहा है कि उनका कसूर नही है…
बताईए … क्या कहेंगें… क्या न्यूज चैंल को दोनो तरफ के पक्ष रख कर खबर नही दिखानी चाहिए क्या खुद ही वकील और जज बन कर सारे फैसले सुनाएगी. एक खबर की असलियत कही दफन हो गई और राजनीति जबरद्स्त रुप से हावी हो गई … अफसोस !!! एक बार फिर एक खबर की आत्महत्या हो गई.
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कविता … अच्छे लगते हैं
अच्छे लगते हैं
पीले पत्ते
सूखी टहनियां
अंधकार से धिरा आसमान
पथरीला रास्ता
कांटो भरी राह
अनुत्तरित प्रश्नो को तलाशती सूनी निगाह
इसलिए नही
कि हौसळे बुलंद हैं
जोश है कुछ कर दिखाने का या मन मे भरा है धैर्य, आत्मविश्वास
जुनून है, लग्न है कि जीतना ही है
नही
बल्कि इसलिए कि
मै हूं नारी
ईश्वर की अनमोल सरंचना
एक तोहफा
जन्मदात्री हू ना
इसलिए जानती हूं
कि
पीडा मे कितना सुख है
इसलिए तो तैयार हूं
अंगारो भरी राह पर खुद को समर्पित करने को
तभी तो
अच्छे लगते हैं
पीले पत्ते
सूखी टहनियां
अंधकार से धिरा आसमान ….!!!
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By Bianca Schulze, The Children’s Book Review
Published: January 23, 2012
Author Award Winner
Illustrator Award Winner
Author Honor Book
Author Honor Book
illustrator Honor Book
Illustrator Honor Book
“The award is named after Pura Belpré, the first Latina librarian at the New York Public Library. The Pura Belpré Award, established in 1996, is presented annually to a Latino/Latina writer and illustrator whose work best portrays, affirms, and celebrates the Latino cultural experience in an outstanding work of literature for children and youth. It is co-sponsored by the Association for Library Service to Children (ALSC), a division of the American Library Association (ALA), and REFORMA, the National Association to Promote Library and Information Services to Latinos and the Spanish-Speaking, an ALA affiliate.” ~ALSC
©2012 The Childrens Book Review. All Rights Reserved.
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This morning, Kay (art director), Emily (graphic designer), Ali (associate editor), and I traveled deep into the Warehouse District of Minneapolis for a photo shoot. The photos in question were for our Monica books (which feature Monica Murray, the best friend of Claudia Cristina Cortez).
Our model, Devyn, was fantastic. She's thirteen, just like Monica, and fit the part perfectly. She wasn't afraid to do silly stuff like toss pom-poms in the air or pretend to punch the camera, and she has a gorgeous smile.
All told, there were about 600 photos taken by the amazing people at Delaney Photography. We narrowed that down to a hundred that we liked. (Devyn is amazingly photogenic--it was hard to choose!) Four of the photos will end up on book covers and be on shelves in August.
Here's Devyn posing for one shot.
And here's one of the shots we loved.
Thanks, Devyn and Delaney—now Monica has a face!
It's been pretty quiet around here lately, but not for lack of work. The designers are all swamped, getting covers ready to present for approval today. We're working on 80 new books for Spring '10, including seven or eight new series. So the design staff has been in a flurry of concepting and designing.
In the meantime, editorial work continues apace, at least for this editor. I'm actually done with the initial editorial work for the Spring '10 list, so I've been focusing on Fall '10. There are some REALLY fun books coming in our next few seasons. One series I'm especially excited about is a spin-off from our wildly successful Claudia Cristina Cortez series. The new set will focus on Claudia's best friend, Monica. Also written by Diana G. Gallagher, the new books follow Monica through middle school and introduce some new characters to the Pine Tree Middle School universe.
I've only edited two manuscripts so far, and the series designer and I have yet to meet to talk concepts for the interior. So right now, the books are really a blank slate--we've got the story, but the package could go any of a number of ways. It's exciting. I love working on an established series--it's like hanging out with old friends--but new series have so much potential, so much opportunity. I love the blank page (so to speak--the page is full of words!).
Now I'm going to get back to Monica. Enjoy your Wednesdays. I hope you all get your own blank pages today!
More soon!
--Beth