कलाम को सलाम
कलाम साहब का दिखाया मार्ग हो या उनकी याद में बनाया मार्ग … दोनों मार्गों पर चलना बेहद सुखद है !!!!जब सुना कि एपीजे अब्दुल कलाम साहब के एनडीएमसी एरिया के अंतर्गत आने वाली औरंगजेब रोड की पहचान अब पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. अब्दुल कलाम के नाम पर रखा दिया गया।
कलाम साहब के निधन के बाद से ही दिल्ली की एक प्रमुख सड़क का नाम उनके नाम पर रखने की मांग उठती रही है।
एनडीएमसी ने ये फैसला कर लिया। औरंगजेब रोड का नाम बदल कर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड रखे जाने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुशी जताई है। केजरीवाल ने ट्वीट कर एनडीएमसी को बधाई दी है। यह प्रस्ताव बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी, महेश गिरि और आम आदमी पार्टी के ट्रेड विंग नेता विपन रोहिला की तरफ से लाया गया है। इस बारे में सांसद महेश गिरि पहले भी चिट्ठी लिख चुके हैं।
ndmc decided to rename aurangzeb road to apj abdul kalam road: :
Congrats. NDMC jst now decided to rename Aurangzeb Road to APJ Abdul Kalam Road
ndmc decided to rename aurangzeb road to apj abdul kalam road Keyword : Mahesh Giri, letter, PM, rename, Aurangzeb Road, APJ Abdul kalam Read more…
http://www.patrika.com/news/miscellenous-india/ndmc-decided-to-rename-aurangzeb-road-to-apj-abdul-kalam-road-1091671/
इससे पहले दिल्ली से बीजेपी सांसद महेश गिरी ने भी प्रधानमंत्री मोदी से दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदल कर पूर्व राष्ट्रपति कलाम के नाम पर रखने का अनुरोध किया था। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखी थी कि जनता के राष्ट्रपति के रूप में व्यापक रूप से सम्मानित कलाम की स्मृति के लिए यह एक उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी।पूर्वी दिल्ली के सांसद ने पत्र में कहा है कि पूरा देश कलाम की मृत्यु से शोक में है। वह एक महान वैज्ञानिक और समाज सुधारक थे, जिन्होंने देश के लाखों लोगों को प्रभावित किया और अपना पूरा जीवन मातृभूमि के लिए समर्पित कर दिया। जनता के राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिए मैं नई दिल्ली में स्थित औरंगजेब रोड का नाम बदल कर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम रोड रखने का प्रस्ताव देता हूं।
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APJ Abdul Kalam
Former President APJ Abdul Kalam, who died on July 27 after a cardiac arrest during a lecture at the Indian Institute of Management in Shillong, was by far the most popular President of the republic.
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कलाम को सलाम
बात परसों रात की है जब मैं टवीटर पर कुछ पोस्ट कर रही थी. अचानक मेरे देखते ही देखते टवीट पर टवीट होने लगे कलाम साहब की तबियत को लेकर… मैनें उस पर ध्यान इसलिए नही दिया कि कुछ दिनों पहले भी ऐसी अफवाह थी और छतीसगढ की एक 22 july की ये खबर
Jharkhand education minister pays floral tribute to APJ Abdul Kalam, pictures go viral | The Indian Express
Jharkhand Education Minister Neera Yadav has landed into a controversy after she reportedly paid floral tributes to former President APJ Abdul Kalam at an event. The pictures which appeared on a local daily have gone viral on social networking sites.
The pictures, shot during a school event, show the minister offering a garland on a photograph of the former president.
After the pictures went viral, twitterati slammed the minister for the blooper. Here are some of the tweets:
Our beloved, and breathing, Dr Kalam just after a tilak was applied on him by the BJP minister in fond remembrance. pic.twitter.com/70fy9WV9pk See more…
इस खबर ने बहुत धक्का पहुंचाया. इसके इलावा पहले भी बहुत बार टवीटर पर उनके शीध्र स्वस्थ होने की कामना की गई और ये कहा गया कि वो अस्तपाल मे भर्ती हैं जबकि वो भले चंगे थे…!!
खैर, इसके बाद टीवी चलाया तो स्क्रोल पर चल रहा था कि वो कलाम साहब गम्भीर … शिलांग की खबर थी और सुनते ही सुनते … बस एक ऐसी खबर आ ही गई किसकी भरपाई कभी नही हो सकेगी… खबर थी उनकी मौत की..
फिर खबरों में सुना उनके अंतिम शब्द … धरती को रहने लायक कैसे बनाया जाए … संसद का डेडलाक कैसे खत्म किया जा सकता है वो परेशान थे कि जिस तरह से संसद ठप्प हो जाती है… उनकी मंशा ये थी कि वो आईआईटी शिलांग के बच्चों से ही इस बारे में विचार लेंगें कि उनकी इस बारे में क्या सोच है…
अब मैं अपनी असली बात पर आती हूं …इन दो दिनों में इतना सब कुछ होने के बाद भी ससंद वासी हंगामा ही करते रहे. बात उस दिन सुबह की है जिस दिन पंजाब मे आतंकी हमला हुआ था मैने सोचा शायद हमले से कुछ सीख कर चुपचाप सत्र चलने देंगें पर बडे शर्म की बात है कि एक तरफ हमारे जवान पंजाब में आतंकियों का सामना कर रहे थे और उसी दिन संसद में हमेशा की तरह तू तू मैं मैं और हो हल्ला होता रहा. सोचा तो था कि जिस तरह से आतंकवादी हमला पंजाब में हुआ है उसे मद्देनजर रखते हुए शायद मानसून सत्र में कोई हंगामा नही होगा और सत्र चल जाएगा पर खबरों में फिर, एक तरफ सत्र का हंगामा दिखा रहे थे तो दूसरी तरफ आतंकवादी हमले ही तस्वीरे… मन बेहद खिन्न हो गया और कलाम साहब की मानसिक परेशानी जो सत्र के न चलने को लेकर थी काश सांसद उन्हे सच्ची श्रधांजलि यही दें कि सत्र आराम से चलने दे …
एक अन्य बात की धरती को रहने लायक कैसे बनाए… आज मैं इस बारे में बाहर बैठ कर सोच रही थी. तभी माली आ गया क्योकि घास बहुत बढ गई थी तो वो उसे काटने लगा. अचानक मैने देखा सामने सडक पर गाय आ रही है मैने सोचा अरे वाह…. आज तो गाय को ताजी ताजी घास खिला देती हूं पुण्य का काम हो जाएगा… इसलिए खूब सारी घास उठाई और गेट के बाहर सडक पर डाल दी. पहले तो गाय ने लेफ्ट राईट देखा …फिर अपनी गर्दन झटकते हुए भवें हिलाई शायद हैरान हो रही होगी क्योकि मैंने कभी उसे घास नही डाली … हा हा यानि कभी कुछ खाने को नही दिया और वैसे भी सडक पर कुछ भी डालने के हमेशा से ही खिलाफ रही हूं पर उस दिन शायद मेरा कोई पुण्य जाग उठा था. उसने घास खाना शुरु ही किया था कि उसकी चार पांच सहेलियां भी आ गई जिसमें भारी भरकम बैल भी थे. मैने मन ही मन सोचा रे वाह … आज तो सारी घास इन सभी को ही खिला दूगी तो देवी देवता सब प्रसन्न हो जाएगें… माली घास काटता रहा और मैं बाहर डालती रही. कुछ ही पल में बाहर देखा तो मेरी वजह से सारी सडक घास युक्त हो चुकी थी और तो और गाय अपनी सहेलियों समेत सडक के बीचोबीच आसन जमा चुकी थी और बैल महाराज जी तो वहां मजे से गोबर भी कर रहे थे…. जिस वजह से , शायद नही, यकीनन ही आने जाने वालो को परेशानी भी हो रही होगी… एक मोटर साईकिल वाले ने वहां से जाते हुए मुझे ऐसे गुस्से से देखा मानो कह रहा हो ये क्या हाल बना रखा है … अरे बाप रे ..!!!
मैं टेंशन में आ गई पर भगवान का शुक्र है कि उसी समय सडक साफ करने वाली जमादारनी आ गई और उसने बची घास एक किनारे पर रख कर सडक साफ कर दी तब तक घास भी खत्म हो गई थी और उसने और माली ने मिलकर जानवरों को भगा दिया … उस समय मेरे मन में फिर आया कि धरती रहने लायक तभी बनाई जा सकती है जब हम उसे साफ सुथरा रखेंगें और ऐसे गंदा नही करेंगें भले ही पुण्य का कार्य हो जैसाकि हम हरिद्वार या गंगाजी जा कर करते हैं… वहां अस्थियां बहाते हैं लिफाफे बहाते हैं जिसकी वजह से गंगा व अन्य पावन नदियां प्रदूषित हो रही है…
पुण्य के चक्कर में सडक पर भी बचा खाना फेंक देते हैं जिससे जानवर टूट कर पडते हैं और कई बार हिंसक भी हो जाते हैं और हमें और सडक पर आने जाने वालो को नुकसान भी पहंचा सकते हैं
पता नही मेरे यह लिखने की क्या वजह है… है भी या नही पर इतना जरुर है कि धरती रहने लायक तभी बन सकती है जब वो स्वच्छ हो, साफ हो और गंदगी से कोसो दूर हो…
– BBC
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने एयरोनॉटिकल इंजीनियर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी.
वो हिन्दुस्तान की दो बड़ी एजेंसियों डिफ़ेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइज़ेशन (डीआरडीओ) और इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइज़ेशन (इसरो) के प्रमुख रहे थे.
दोनों एजेंसियों में उन्होंने बहुत उम्दा काम किया.
हिन्दुस्तान के पहले रॉकेट एसएलवी-3 को बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. पोलर सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल (पीएसएलवी) बनाने में भी उनकी प्रमुख भूमिका थी.
हिन्दुस्तान के पहले मिसाइल पृथ्वी मिसाइल और फिर उसके बाद अग्नि मिसाइल को बनाने में भी डॉक्टर कलाम का अहम योगदान रहा है.
हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि भारत ने 1998 में जो परमाणु परीक्षण किया था उसमें भी डॉ कलाम की विशिष्ट भूमिका थी. उस समय वो डीआरडीओ के प्रमुख थे. – BBC
कलाम जी के विचार अगर हम सभी( हम सभी यानि की हम सभी… जिसमे नेता भी हों आम आदमी भी हों पुलिस भी हो और प्रशासन भी हो) अपनी जिंदगी में अपना लेंगें तो शायद इससे अच्छी और सच्ची श्रधांजलि और कोई हो ही नही सकती…
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India Vision 2020
अचानक कलाम साहब की खबर सुनकर ….. !!!! कलाम साहब से मैं बहुत बातो से प्रभावित थी. जिनमे से एक है उनकी अनमोल बाते… बहुत समय पहले मैने कही पढा था कि एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है और एक अच्छा दोस्त पूरी की पूरी लाईब्रेरी होता है… बाद में मुझे पता चला कि ये तो कलाम साहब ने कहा है … तब से मैं उनके और भी विचार पढने लगी… कुछ विचार जो हमेशा जहन मे रहते हैं वो हैं …सपने वो नही जो नींद मे देखे जाए सपने वो हैं जो आपको सोने ही न दे… किसी को हराना बहुत आसान है पर किसी को जीतना बहुत मुश्किल … एक उन्होनें कहा था कि मां अपने बच्चे को किसी से भी नौ महीने ज्यादा जानती है क्योकि नौ महीने वो गर्भ में रहता है ऐसे न जाने कितनी अच्छी बातें हैं जो हम सभी के जहन मे सदियों तक रहेगी … आपको नम आखों से सादर नमन… (अगर आपको भी उनका कोई विचार बहुत अच्छा लगा हो तो जरुर शेयर कीजिए हम सभी के साथ .
Even In Death, Kalam Relied His Last Hopes on Students for Vision 2020 -The New Indian Express
The missile man might not be there anymore, but it is our duty to make his dreams live on. As a writer, his books be it ‘Wings of Fire’, ‘Ignited Minds’, or ‘India 2020’, all of them were dedicated to motivate India’s young minds. Everyone might feel that Mr Kalam has left a huge void that cannot be filled, but hypothetically Mr Kalam would want most of the young generation to fill that void. Across the nation and world, people are pouring their respects and tributes. Every young person should feel today that only hard work towards the ideal change Mr Kalam sought for 2020 would be the satisfying tribute of all.
Lesser Known Facts About Dr APJ Abdul Kalam
10 Golden Quotes by APJ Abdul Kalam That Sought to Motivate Students
‘People’s President’ Abdul Kalam No More Read more…
आप हमेशा हमेशा हमारे जहन में रहेंगें ….
सादर नमन्
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बचपन वैज्ञानिकों का
बच्चों, आचार्य जगदीश चन्द्र बसु का नाम तो आपने सुना ही होगा। जी हां, इन्होंने पता लगाया था जैसे हम गर्मी, सर्दी, दर्द का अनुभव करते हैं वैसे ही पौधे भी अनुभव करते हैं। प्रो0 बसु ने पौधो की सजीवता देखने और मापने के बेहद संवेदनशील यंत्र बनाया जिसका नाम क्रेस्कोग्राफ था। पता है, इसकी मदद से यह तक जाना जा सकता था कि पौधा हर सैंकिंड़ में कितना बढ़ता है।
30 नवम्बर, 1858 को बंगाल के मैमन सिंह जिले के फरीदपुर गांव में इनका जन्म हुआ। इस बालक के पिता फरीदपुर के डि़प्टी मैजिस्ट्रेट थे। इनकी शिक्षा गांव में ही हुर्इ। पांच वर्ष की आयु से ही यह घोड़े पर बैठ कर विधालय में पढ़ने जाते थे। यह साहसी बहुत थे। पता है, बचपन में इनका नौकर इन्हें रोमांचक, साहसी कहानियां सुनाता था। इनका नौकर पहले ड़ाकू था। किन्तु जेल से लौट कर आने के बाद यह सुधर गया और वसु को साहसी बनाने में इनके नौकर का योगदान रहा। जब यह नौ वर्ष के हुए तो यह पढ़ार्इ के लिए कलकत्ता चले गए। वहां इनके दोस्त तो कोर्इ बने नहीं इसलिए पौधाें को उखाड़-उखाड़ कर इनकी जड़ो को देखा करते। यह तरह-तरह के फल-फूल उगाने के भी बेहद शौकिन थे। बस तब से बसु पौधों की दुनिया में इतने लीन हो गए कि इनके अनुसंधानों से पूरी दुनिया हैरत में पड़ गर्इ।
मद्रास के तंजौर जिले के इरोद नामक छोटे से गांव के स्कूल में शिक्षा पार्इ श्री निवास रामानुजम ने। इसी बालक को रायल सोसाइटी ने अपने फ़ैलो बनाया जोकि स्वयं में ही बहुत बड़ा सम्मान था और सम्पूर्ण एशिया में सम्मानित होने वाले यह प्रथम व्यकित थे। रामानुजम गणितज्ञों में शिरोमणि कहे जाते हैं। इनके बचपन की एक से सौ तक की संख्या का जोड़ निकालने को बोला और अध्यापक निशिचंत होकर बैठ गए कि सभी विधार्थी आराम करेंगे लेकिन बालक रामानुजम अध्यापक के आराम में खलल ड़ाल दिया उन्होंने असाधारण तरीके से इसका जोड़ निकाला। जिसे देखकर अध्यापक हैरान ही रह गए। बचपन से श्रीनिवास की गणित के प्रति बेहद रूचि थी। अपनी किताब की तो फटाफट पढ़ार्इ कर लेते और फिर अगली कक्षा की गणित लेकर पढ़ार्इ करते।
ड़ा0 हरगोविंद सिंह खुराना का जन्म 9 जनवरी, 1922 को पंजाब के छोटे से गांव रायपुर में हुआ। यह पांच भार्इ-बहन थे। पता है, यह बचपन से ही बहुत तेज थे। तीसरी कक्षा से ही इन्हें छात्रवृति मिलनी शुरू हो गर्इ थी। सारा दिन यह पढ़ते ही रहते थे। अपनी मां से पता है यह किस तरह रेस लगाते थे। इनकी मां तवे पर रोटी ड़ालती और दूसरी तरफ यह तरफ यह सवाल हल करना शुरू करते। दोनों में होड़ रहती थी कि पहले रोटी सिकेगी या फिर सवाल हल होगा।
विज्ञान के मटारथी गैलेलियो गैलिलार्इ (1564-1642) को कौन नहीं जानता। इन्होंने ही इस बात का खंडन किया था कि सूर्य पृथ्वी के चारों ओर नहीं घूमता बलिक पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है। सूर्य तो ब्रह्राांड़ का केन्द्र है। यह बचपन से ही खोजी प्रवृति के रहे। इनका जन्म 15 फरवरी, 1564 को टस्कनी राज्य के इटली (पीसा नगर) में हुआ। इनके पिता संगीत व गणित के विद्वान थे। बांसुरी बजाना, चित्रकारी के अतिरिक्त इन्हें पढ़ार्इ का बेहद शौक था। गैलिलयो के पिता इन्हें ड़ाक्टर बनाना चाहते थे। ड़ाक्टरी पढ़ने के लिए इन्हें पीसा विश्वविधालय में दाखिल करवाया गया लेकिन इनका मन धार्मिक कार्यों में नहीं लगता था। मजबूरन इन्हें गिरजाघर जाकर थोड़ी देर खड़ा रहना पड़ता था। पता है, यही पर एक खोज ने जन्म लिया। एक बार गिरजाघर में खड़े-खड़े तांक-झांक कर रहे थे कि इन्होंने एक लालटेन देखी वो रस्सी से लटकी इधर-उधर झूल रही थी। हवा धीमी होने पर लालटेन की झूलने की दूरी तो कम हो गर्इ इधर-उधर चक्कर काटने में उसे इतना समय लगा। गैलिलयो ने अपनी नब्ज़ की धड़कन से यह निरीक्षण किया और बस, पेंडुलम के सिद्धांत के आधार पर यही यांत्रिक घडि़यां बनीं। इन्होंने दूरबीन भी बनार्इ और उसका रूख आकाश की ओर रखा। गैलिलयो की खोजे ही आगे चलकर न्यूटन की खोजों का आधार बनी।
न्यूटन ने भी गैलिलयो के बारे में कहा कि वह एक दिग्गज थे, इन्हीं के कन्धों पर चढ़कर मैंने दुनिया देखी। सर आइजक न्यूटन (1642-1727) को कौन नहीं जानता। गिरते सेब को देखकर इन्हीं के मन में ख्याल आया कि यह सेब नीचे कैसे गिरा ऊपर क्यों नहीं गया। इसी समस्या पर विचार करके उन्होंने गुरूत्वाकर्षण के सिद्धांत की स्थापना की। प्रिसीपिया न्यूटन द्वारा रचित महान ग्रंथ है। लेकिन बचपन में इनके जीवन में दुख के सिवाय कुछ नहीं था। जब न्यूटन पैदा हुए तो इनके पिता चल बसे। मां ने दुबारा विवाह कर लिया और नानी ने इनकी देखभाल की। गांव से छ: मील दूर ग्रैथम के स्कूल में यह शिक्षा के लिए जाते थे। पढ़ार्इ में यह तब कमजोर थे। एक बार लड़ार्इ में इन्होंने एक बच्चे को हरा दिया। बस, उसी दिन से उन्होंने सोच लिया कि जब वह लड़ार्इ में हरा सकते है तो पढ़ार्इ में क्यों नहीं। देखते ही देखते पढ़ने की लगन ने इन्हें सबसे प्रतिभाशाली बालक बना दिया। न्यूटन ने अनेंको खोजे की। नम्र स्वभाव वाला न्यूटन समाज के सम्मानित व्यक्तियाें में से एक थे।
मार्इकल फैराड़े (1797-1867) महान वैज्ञानिक थे। पता है, बचपन में वह जिल्दसाज थे। कापी, पुस्तकों में जिल्द चढ़ाते थे और पता है जिल्द चढ़ाते-चढ़ाते वह उन पुस्तकों को ध्यान से पढ़ते थे। फैराड़े का मुख्य कार्य विधुत और चुम्बक पर था। उन दिनों की बात है जब रायल इंस्टीटयूट के अध्यक्ष सर हंफ्री डेवी ने अपनी पुस्तक जिल्द के लिए दी। जब वह जिल्द वाली पुस्तक लेने पहुंचे तब उन्होंने देखा कि वह बालक पुस्तक पढ़ रहा है। वह हैरत में पड़ गए। पता है उन्होंने फैराडे़ की उस पुस्तक से परीक्षा भी ली और उन्होंने सभी उत्तर ठीक दिए। यही बालक महान वैज्ञानिक बनकर रायल इंस्टीटयूट का निदेशक बना।
उल्म के दक्षिण जर्मन में आंइस्टाइन का जन्म हुआ। वह कहते थे कि मेरा मस्तिष्क ही मेरी प्रयोगशाला है। लेकिन यह महान वैज्ञानिक बचपन में एकदम नालायक थे। इनके अध्यापक ने तो यहां तक कह दिया था कि इन जैसा नालायक उन्होंने आजतक नहीं देखा। फिर उन्होंने स्वयं ही घर पर पढ़ार्इ की और पढ़ार्इ में जबरदस्त निपुणता हासिल की। आंइस्टाइन के चाचा इंजीनियर थे। गणित में उन्होंने ही आंइस्टाइन को पढ़ार्इ करवार्इ और ज्यामिती उनका प्रिय विषय बन गर्इ। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अलबर्ट काक इजराइल लोगों ने उन्हें राष्ट्रपति बनाना चाहा। लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया। वह जीवन भर शांति के लिए प्रयास करते रहे और वह राष्ट्रपिता गांधी से बहुत प्रभावित थे। बच्चों, प्रतिभा हम सभी में छिपी रहती है हमें जरूरत है थोड़ी सी हिम्मत, मेहनत, लग्न और आत्मविश्वास की। हो सकता है हम भी बड़े होकर महान लोगों में अपना नाम शामिल कर लें।
बचपन वैज्ञानिकों का… तो बच्चों बतानाकी आपको ये लेख कैसा लगा … अगर आप भी किसी वैज्ञानिक के बारे मे कुछ जानते हों तो भी जरुर बताना
IBN Khabar
एपीजे अब्दुल कलाम : भारत के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम भारत में मिसाइल मैन के नाम से भी जाने जाते हैं। 1962 में वे ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ में शामिल हुए। कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है। 1980 में कलाम ने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। उन्हीं के प्रयासों की वजह से भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। खास बात यह है कि इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया।
जयंत विष्णुनार्लीकर : महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्में प्रसिद्ध वैज्ञानिक जयंत विष्णुनार्लीकर भौतिकी के वैज्ञानिक हैं। उन्होंने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बिग बैंग की थ्योरी के अलावा नये सिद्धांत स्थायी अवस्था के सिद्धान्त (Steady State Theory)पर भी काम किया है। उन्होंने इस सिद्धान्त के जनक फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर काम किया और हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। कई पुरस्कारों से सम्मानित नार्लीकर ने विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए विज्ञान साहित्य में भी अपना अमूल्य योगदान दिया।
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बचपन वैज्ञानिकों का… तो बच्चों बतानाकी आपको ये लेख कैसा लगा … अगर आप भी किसी वैज्ञानिक के बारे मे कुछ जानते हों तो भी जरुर बताना
बचपन वैज्ञानिकों का
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