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Monica Gupta,
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ये तो बस शुरुआत है
तोहफा
सेवा कर की दर में बढ़ोतरी पर खेद प्रकट हुए कांग्रेस ने सोमवार को मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. कांग्रेस ने इसे महंगाई बढ़ाने वाला कदम बताते हुए कहा कि भाजपा नीत एनडीए सरकार ने लोगों को वर्षगांठ पर यह तोहफा दिया है.
पार्टी प्रवक्ता राजीव गौडा ने कहा, मोदी सरकार को पिछले हफ्ते एक साल हुआ लेकिन भारत के लोगों को उनकी वर्षगांठ का तोहफा आज से मिलना शुरु हो रहा है. उन्होंने कहा कि हम सब बहुत बढ़े हुए और अवांछित 14 प्रतिशत सेवा कर का भुगतान करने जा रहे हैं और इसके अलावा उनके रास्ते में कई अन्य उपकर भी हैं. उन्होंने खेद व्यक्त किया कि सरकार मंहगाई कम होने के बारे में बातें करती है और सेवा कर में यह बढ़ोतरी महंगाई को और बढ़ायेगी. साथ ही अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर इसका असर पड़ेगा, खासतौर पर सेवा क्षेत्र को जो पूरी अर्थव्यवस्था का 50 फीसदी से ज्यादा है.
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विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने सरकार के एक साल पूरा होने पर विदेश नीति की दशा, दिशा और उपलब्धियों का ब्योरा देने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन किया। उन्होंने कहा कि अब विदेश नीति तीन कसौटियों पर परखी जा रही है – संपर्क, संवाद और परिणाम। पिछले एक साल में 101 देशों से संपर्क-संवाद साधा गया है और नया मंत्र है – विकास के लिए कूटनीति का। इसके साथ ही विदेश नीति के मामले में पीएम मोदी की सक्रियता पर उन्होंने कहा कि ‘अतिसक्रिय’ प्रधानमंत्री होना कोई ‘चुनौती’ नहीं ….
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खैर, पक्ष और विपक्ष के अपने अपने फंडे हैं पर सोच इस बात की है क्या वाकई में देश की आम जनता इससे प्रभावित हुई है क्या टैक्स महंगाई और भी कई बातों के चलते आम आदमी अपने सफर मे suffer तो नही कर रहा …
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Mother Daughter relationships… ग्यारहवीं क्लास मे पढने वाली दीपा सुबह सो कर उठी और हमेशा की तरह अपना फेसबुक चैक किया . उसे देखते ही उसका पारा सातवें आसमान पर चढ गया. असल में, उसके दसवीं क्लास में मार्क्स बहुत कम आए थे. इस वजह से तनाव मे चल रही थी और उसकी face book wall पर मम्मी ने कमेंट कर दिया कि कोई बात नही कम ज्यादा तो होते रहते हैं इस बार ज्यादा मेहनत करना. इसी के साथ साथ उसका घर का नाम भी लिख दिया. चिल्लाते हुए दीपा कमरे से बाहर आई और बहुत बुरी तरह अपनी मम्मी से बात करने लगी. पहले पहल तो मम्मी चुपचाप सुनती रही . फिर उन्होनें भी चिल्लाना शुरु किया कि तुम भी तो सारा दिन फेसबुक पर लगी रहती हो अगर मैने लिख दिया तो क्या पाप कर दिया..थोडी ही देर में बात मरने मराने तक पहुंच गई.
मेरे विचार से जहां किशोर या युवा बच्चे रहते हैं वहां ऐसी बाते आमतौर पर होती रहती हैं. आज के बच्चे बहुत तनाव में रहने लगे हैं हर घर की अपनी अपनी वजह है. अगर हम सारी गलती मम्मी पर डालेंगें तो भी सही नही होगा और सारी गलती बच्चों पर डालेग़ें तो भी अन्याय होगा तो क्या करनां चाहिए. जी बिल्कुल सही … क्या करना चाहिए… बात का हल निकालना चाहिए . बच्चो के साथ बच्चा बन कर भी झगडा शुरु नही कर देना चाहिए. समझादारी से काम लेना चाहिए आखिर आप मम्मी है मम्मी !!!
कुछ ऐसी ही परेशानी मेरी सहेली मृदुला और उसकी बेटी गौतमी के साथ थी. गौतमी अभी 16 साल की हुई है. दोनों को कौंसलिंग की जरुरत थी. मैने एक दिन मृदुला को घर बुलाया और उसकी सारी बाते ध्यान से सुनी. सुनकर लगा कि बात इतनी ज्यादा नही है जितना बनाया जा रहा है. उसे समझाया कि सबसे पहले तो एक अच्छी मां होने के नाते अपने गुस्से पर काबू करना सीखों. उसकी जगह खुद को रख कर बात करो कि अगर तुम उसकी जगह होती तो कैसा बर्ताव करती. बच्चों को टोका टाकी पसंद नही होती इसलिए बजाय बात बात पर टोकने के बच्चों को विश्वास में लेकर उनसे बात करनी चाहिए. उनकी पसंद ना पसंद का भी ध्यान रखना चाहिए और अगर बच्चे का पहनावा पसंद नही आया तो कुछ इस तरह से बोले कि आप अपनी बात भी कह दें और बुरा भी न लगे. उसकी बातों में मुझे दो कारण और मिले. पहला तो ये कि जब भी उसका आफिस मॆं किसी बात पर तनाव होता है या फिर जब भी पति से किसी बात पर लडाई होती है तो माध्यम बच्चे बन जाते हैं उन पर सारा गुस्सा उतारा जाता है जबकि बच्चों क्या दोष है इसमें. एक कमी और भी मैने मृदुला में महसूस की कि वो अपने बच्चे की बुराई अपने रिश्तेदार या सहेलियों से अक्सर करती रहती . जबकि ये सही बात नही है और खास तौर पर बच्चों को यह पसंद नही होता. घर परिवार की बाते घर परिवार मे ही निबटाई जाए तो ही बेहतर होता है.
बच्चों को प्रोत्साहित करके उनके कार्य की कद्र करनी चाहिए और शापिंग के बहाने ही सही उनके साथ समय बीतना चाहिए इससे आत्मीयता बढती है और आपसी बातो से विचारों का आदान प्रदान होता है. मृदुला मेरी बाते सुनकर बहुत कुछ सोच रही थी शायद उसे लग रहा था कि कि कही न कही वो भी गलत है. उसने वायदा लिया कि वो कोशिश करेगी कि अपने गुस्से पर कंट्रोल करने का और बच्चों से बेवजह बहस न करने का. और रही बात मोबाईल और नेट पर रोक लगाने की तो वो इस विषय में भी ज्यादा नही टोकेगी …
मैने बस इतना कहा कि हफ्तें दस दिन यह करके तो देखो और वही उसको कहा कि गौतमी को भेजना पर इस बारे मे कोई बात नही बतानी कि हमारी क्या बात हुई है इस पर वो हंस कर बोली ” कौन सी बात ” ???
अगले दिन चावलों की खीर लेकर उनकी बेटी गौतमी घर आई. हमारे यहां वाई फाई है इसलिए वो कुछ देर बैठ कर नेट पर कुछ करने लगी. अब अगर मे उससे सीधा बात करती तो शायद उसे अच्छा नही लगता मैने अपनी कजिन का उदाहरण देख कर बात शुरु की कि वो भी उसकी उम्र की है और उसके विचार जानती रही. उसे मैने दिखाया कि मैने नेट से बहुत काम की वेबसाईट सेव की है ये उसे भेजने वाली हूं ताकि वो कुछ सीखे और उसे दिखाने लगी …

How to Be a Good Daughter – 14 Easy Steps (with Pictures)
How to Strengthen the Bond Between You and Your Mom See more…
उसे पढ कर बहुत अच्छा लगा. उसने कहा कि ये लिंक तो उसे भी मेल कर दो ताकि वो भी इसे पढ सके. फिर बातो ही बातों मे बोली कि कई बार वो मम्मी के सामने गुस्सा हो जाती है तेज बोल जाती है वो भी इसे सुधारने की कोशिश करेगी … बस मैं भी यही चाह्ती थी मैने उसे समझाया कि ऐसी कोई बात लगती तो नही पर अगर है अगर तुम ऐसा सोच रही हो तो ये तो और भी अच्छी बात है …मम्मी बेटी के रिश्ते मॆ सबसे बडा होता है विश्वास … बस दोनों को ईमानदार रहना चाहिए और एक दूसरे पर सहेली की तरह विश्वास करके सच बताना चाहिए.
अपने समय का सही इस्तेमाल करना चाहिए. हमे क्या बनना है हमारी भीतर क्या potential है उसे खोज निकलाना चाहिए और पढाई के साथ साथ extra curricular activity मे भी ध्यान लगाना चाहिए क्योकि उससे हम स्मार्ट बनते हैं खुद को challenge करना चाहिए और हमेशा be positive वाली सोच हो तो क्या कहने…
मैने उसे एक दो लिंक और दिखाए …
उसकी बातों से लग रहा था कि वो खुद को सुधारने की कोशिश करेगी और ये लिंक वो मम्मी के साथ भी शेयर करेगी. 
15 Insights on Improving Mother-Daughter Relationships |
Mother-daughter relationships are complex and diverse. Some mothers and daughters are best friends. Others talk once a week. Some see each other weekly; others live in different states or countries. Some spar regularly. Some avoid conflict. Others talk through everything. And undoubtedly, there’s a hint of all these things in most relationships. See more…
How to Improve Your Mother Daughter Relationship: 15 Steps
Face it. You don’t always bond with your daughter. She might be busy on the computer, the phone, with her friends, or schoolwork. When you try to talk to her, she doesn’t listen, or just leaves the room. She thinks that you are embarrassing, and you don’t know how to change that.
You may be busy as well, with work, family, money, and so much more. Do either of these situations sound like you? If so, you need to improve your mother-daughter relationship and overall bond. See more…
वैसे आप अपने बच्चों के साथ तो झगडा नही करते होंगें अगर करते हैं तो आप भी इसे जरुर पढिएगा … और अपने विचार मुझसे सांझा करना नही भूलिएगा … हो सकता है आपके पास भी कोई बहुत अच्छा आईडिया हो …
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जय गणेशा 
जय गणेशा… अक्सर हम यही जानते है कि किसी भी पूजा या शुभ काम करने से पहले गणेश जी पूजा करनी चाहिए. गणेश जी के प्रथम पूज्य होने के कारणो पर एक नजर डालते हैं! श्री गणेश जी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं.उनके बारे मे ना सिर्फ ढेरो कहानियां है बल्कि वो अपने प्रत्येक अंग से कुछ न कुछ कहते हैं !जितना मुझे पता है और मैनें पढा है आइये जानते हैं उनके अंगों के बारे मे कि वो क्या संदेश देते हैं !
मस्तक :- गणेश जी का मस्तक काफी बड़ा होता है जो हमें अपनी सोच को बड़ा बनाये रखने की और बड़े विचारों को मस्तिष्क में स्थिरता रखने की सलाह देता है !
आँखें :- गणेश जी आँखें काफी छोटी – छोटी होती है जो हमें सन्देश देती है , कि जीवन में सफल होने के लिए एकाग्रता का होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है !एकाग्रता के बिना सरल से सरल काम को भी पूर्ण नहीं किया जा सकता है और एकाग्रता हो तो पानी में देखकर भी घूमती हुई मछली की आँख को निशाना बनाया जा सकता है !
कान :- गणेश जी के कान काफी बड़े होते हैं और ये बड़े कान हमें एक अच्छा श्रोता बनने का सन्देश देते हैं !अर्थात हमारे अंदर धैर्य और एकाग्रता पूर्वक अच्छी बातों को सुनने का सामर्थ्य होन चाहिए !
कुल्हाड़ी :- गणेश जी के दांये हाथ की कुल्हाड़ी हमें ये प्रेरणा देती है , कि हमें सांसारिक बंधनों की असत्य डोरियों को काटकर एकमात्र सत्य ईश्वर की और अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए !
रस्सी :-गणेश जी के बांये हाथ की रस्सी स्वयं को अपने जीवन के चरम लक्ष्य की और खींच कर ले जाने का संकेत देती है और यह लक्ष्य है स्वयं श्री गणेश !
मुख :-गणेश जी का मुख काफी छोटा होता है परन्तु ये हमें दो संकेत देता है , कि एक तो हमें कम बोलना चाहिए !कम बोलने से तात्पर्य है कि जितनी आवश्यकता हो उतना ही बोलना चाहिए अधिक नहीं ! दूसरा संकेत जो हमें गणेश जी के मुख से प्राप्त होता है वह है ,कि हमें कम खाना चाहिए अर्थात जीवन के लिए भोजन करना चाहिए न कि केवल स्वाद के लिए !
दांत :-गणेश जी का केवल एक ही दन्त होता है दूसरा नहीं अर्थात हमें केवल अच्छी वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए बुरी वस्तुओं का नहीं !
दूसरा संकेत हमें ये प्राप्त होता है , कि यह शरीर नश्वर होता है जिसे एक दिन अवश्य ही खत्म हो जाना है !इसलिए शरीर का अधिक मोह नहीं करना चाहिए !लेकिन “शरीर माध्यम खलु धर्मंसाधनं”के विचार को महत्व देते हुए हमें शरीर को नीरोग रखने का पूरा कर्म करना चाहिए क्योंकि शरीर ही संसार में सभी धर्मों को पूरा करने का माध्यम है और मोक्ष का माध्यम है !
सूंड :- गणेश जी की सूंड मानव शरीर की adaptibility का सर्वश्रेष्ठ उदहारण है !यह सूंड हमें शरीर में दुसरे परिवर्तनों को सहेजने और उनके साथ उसी कुशलता से काम करने का सन्देश देती है !जिस प्रकार स्वयं गणेश जी ने हाथी की सूंड का सामंजस्य स्वयं के शरीर के साथ करते हुए अपने मुख के सभी कार्य सूंड के साथ निर्विघ्न्तापूर्ण संपन्न किये !
हस्त :- गणेश जी का दांया हाथ जो आशीर्वाद देने की मुद्रा में उठा हुआ है ,वो सभी जीवों को सुखपूर्वक जीने का आशीर्वाद दे रहा है !और साथ ही साथ संसार से ईश्वर तक जाने वाले उस दिव्य पथ को भी आलोकित कर रहा है !
मोदक अर्थात लड्डू :-मोदक हमें इस बात की सूचना देता है कि यदि आप कोई कर्म करते हैं तो आपको उसका फल तो मिलेगा ही लेकिन यदि आपका कर्म और उसके प्रभाव नश्वर होते हैं तो आपको नष्ट होने वाला फल ही प्राप्त होगा लेकिन यदि आपके कर्म ईश्वर प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करने वाले हैं तो आपका प्रसाद भी अलौकिक ,दिव्य और गणेश जी के मोदक के समान अनश्वर होगा ! (अर्थात साधना का फल है मोदक)
बड़ा पेट :-गणेश जी का बड़ा पेट हमें इस बात की शिक्षा देता है ,कि हमें जीवन में जो कुछ भी हो रहां है उसे शांतिपूर्वक पचा लेना चाहिए!चाहे
वह अच्छा हो रहा है या बुरा !
प्रसाद :- गणेश जी सामने रखा हुआ प्रसाद ये बता रहा है , कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड आपके कदमों में है और आपके आदेश की प्रतीक्षा कर रहा है !
मूषक(चूहा):- मूषक अर्थात गणेश जी का वाहन !मूषक के द्वारा गणेश जी ये बताना चाह रहे हैं ,कि ऐसी इच्छाएं जो हमारे वश में नहीं होती हैं वो नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए इच्छाएं सदैव उस आकार की ही होनी चाहिए कि हम उन पर सवारी कर सकें यदि यदि इच्छाएं हम पर सवारी करना शुरू कर देती है तो मुश्किल हो जाती है !विशालकाय गणेश जी का वाहन छोटा सा मूषक इसी बात की दार्शनिक व्याख्या करता नजर आता है !
क्यों है ना… गणेश जी का केवल मुख नहीं अंग – अंग भी बोलता है और वो भी लाजवाब !! जय गणेश !
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ऐसा भी होता है.. हुआ यू कि लगभग महीना हो गया घर के सामने बिजली की तार पर एक पंतग अटकी हुई है. बहुत दिनों से मैं इसे लगातार देखती हुई सोचती थी कि एक बार यह फटनी और तार तार होनी शुरु हो जाए फिर अच्छी सी कविता लिखूगी कि हाय पतंग तेरा क्या जीवन और फिर उस पंतग को महिलाओ से जोडूगी कि महिला का जीवन भी पंतग जैसा निरीह, बेचारा है पर आशा मे खिलाफ उस पंतंग को कुछ भी नही हुआ हालाकि टंगे हुए उसे महीना से ज्यादा हो गया है पर पूरे विश्वास से फवा मे झूल रही है.
तब मन में विचार आया कि अगर हम स्वयं को मजबूत रखें और हर situation में अपना आत्म विश्वास बनाए रखें तो हमें कोई चीज या बात हमें तोड नही सकती और इस पंतग ने मेरी सोच को नई दिशा दे डाली
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बिजली जाने का सुख
अरे भाई, हैरान होने की कोई बात नही है लगातार लगते कटो से तो मैने यही नतीजा निकाला है कि बिजली जाने के तो सुख ही सुख है.सबसे पहले तो समाज की तरक्की मे हमारा योगदान है. भई, अर्थ आवर मे 100% हमारा योगदान है क्योकि बिजली रहती ही नही है.तो हुआ ना हमारा नाम कि फलां लोगो का सबसे ज्यादा योगदान है बिजली बचाओ मे.
चलो अब सुनो, बिजली नही तो बिल का खर्चा भी ना के बराबर. शापिंग के रुपये आराम से निकल सकते हैं. बूढे लोगो के लिए तो फायदा ही फायदा है भई हाथ की कसरत हो जाती है. हाथ का पखां करने से जोडो के दर्द मे जो आराम मिलता है. घरो मे चोरी कम होती है भई, बिजली ना होने की वजह से नींद ही नही आती या खुदा ना करे कि सच मे, चोर आ भी गया और अचानक लाईट आ गई तो आप तो हीरो बन जाऐगे चोर को जो पकड्वा देगे, है ना समाचार पत्रो मे आपकी फोटो आएग़ी वो अलग.
अच्छा, घर में बिजली ना रहने से लडाई ना के बराबर होती है. भई, कूलर या पंखे मे तो अकसर आवाज दब जाती है पर लाईट ना होने पर खुल कर आवाज बाहर तक जाती है. धीमी आवाज मे तो लड्ने मे मजा आता नही इसलिए लडाई कैंसिल करनी पड्ती है. और पता है सास बहू के झगडे कम हो जाते हैं दोनो बजाय एक दूसरे को कोसने के बिजली विभाग को कोसती हैं इससे मन की भडास भी निकल जाती है और मन को शांति भी मिलती है.
पता है बिजली जाने से दोस्ती भी हो जाती है. अब लाईट ना होने पर आप घर से बाहर निकलेगे आपके हाथ मे रुमाल भी होगा पसीना पोछ्ने के लिए. सामने से कोई सुन्दर कन्या आ रही होगी तो आप जान बूझ कर अपना रुमाल गिरा कर कहेगे लगता है मैडम, आपका रुमाल गिर गया है यह सुन कर वो आपकी तरफ देखेगी,मुस्कुराएगी और दोस्ती हो जाएगी.
एक और जबरदस्त फायदा है कि आप विरह के गीत, कविताए लिखने लगेगें क्योकि आप बिजली को हर वक्त याद करेगें जब वो नही आएगी तो आपके मन मे ढेरो विचार उठने लगेगें. यकीन मानो आप उस समय विरह की ऐसी ऐसी कविता या लेख लिख सकते हैं कि अच्छे अच्छो की छुट्टी हो जाएगी.एक और सुख तो मै बताना ही भूल गई कि आप जोशीले भी बन सकते है बिजली घर मे ताला लगाना, तोड फोड करना, जलूस की अगवाई तभी तो करेगे जब आपमे गुस्सा भरा होगा और वो गुस्सा सिवाय बिजली विभाग के आपको कोई दिला सकता है सवाल ही पैदा नही होता .बाते और भी है बताने की पर हमारे यहाँ 5घंटे से लाईट गई हुई है और अब इंवरटर मे लाल लाईट जलने लगी है. बिजली विभाग मे मोबाईल कर रही हूँ पर कोई फोन ही नही उठा रहा. गुस्से मे मेरा रक्तचाप बढ रहा है डाक्टर को फोन किया तो वो बोले तुरंत आ जाओ. अब आँटो का खर्चा, डाक्टर की फीस ,दवाईयो का खर्चा सबके फायदे ही फायदे हैं और कितने सुख गिनवाऊँ बिजली जाने के.
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किसी जमाने मॆं नमस्ते ,नमस्कार या नमस्कारम, की जगह आज हैलो, हाय, वटस अप …ने ली है. आजकल ये हमारे अभिवादन के तरीके हो गए हैं . जबकि नमस्ते सुनने में बहुत अच्छा और आत्मीयता तथा अपनेपन का भाव जगाता है.किसी मंदिर के करीब से गुजरते ही हाथ खुद बखुद जुड जाते हैं यानि नमस्ते की मुद्रा में आ जाते हैं.
नमस्कार मूल धातु `नम:’ से `नमस्कार’ शब्द बना है । `नम:’ का अर्थ है नमस्कार करना, वंदन करना ।
दोनों हाथों को मिलाकर, हल्के से शरीर के झुकाव के साथ किया गया नमस्कार असल में, सबसे पहले व्यक्ति के अहं को दूर करता है, नमस्कार करने से नम्रता बढती है , कृतज्ञता का भाव बढता है सात्त्विकता मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है ।
नमस्कार
नमस्कार भारतीय़ संस्कृति का अनमोल रत्न है। नमस्कार अर्थात नमन, वंदन या प्रणाम। भारतीय संस्कृति में नमस्कार का अपना एक अलग ही स्थान और महत्त्व है। जिस प्रकार पश्चिम की संस्कृति में शेकहैण्ड (हाथ मिलाना) किया जाता है, वैसे भारतीय संस्कृति में दो हाथ जोड़कर,सिर झुका कर प्रणाम करने का प्राचीन रिवाज़ है। नमस्कार के अलग-अलग भाव और अर्थ हैं।
नमस्कार एक श्रेष्ठ संस्कार है। जब तुम किसी बुजुर्ग, माता-पिता, संत-ज्ञानी-महापुरूष के समक्ष हाथ जोड़कर मस्तक झुकाते हो तब तुम्हारा अहंकार पिघलता है और अंतःकरण निर्मल होता है। तुम्हारा आडम्बर मिट जाता है और तुम सरल एवं सात्त्विक हो जाते हो। साथ ही साथ नमस्कार द्वारा योग मुद्रा भी हो जाती है। See more…

The Real Meaning and Significance of
The Real Meaning and Significance of “Namaste! 1/7 अनाहत चक नमस्ते करने के लिए, दोनो हाथों को अनाहत चक पर रखा जाता है, आँखें बंद की जाती हैं और सिर को झुकाया जाता है। The Real Meaning and Significance of “Namaste! 2/7 दैवीय प्रेम का बहाव हाथों को हृदय चक्र पर लाकर दैवीय प्रेम का बहाव होता है। सिर को झुकाने और आँखें बंद करने का अर्थ है अपने आप को हृदय में विराजमान प्रभु को अपने आप को सौंप देना। The Real Meaning and Significance of “Namaste! 3/7 मनोवैज्ञानिक तरीका जब इंसान को बहुत गुस्सा आये तो उसे तुरंत लोगों को नमस्कार कर देना चाहिए क्योंकि नमस्कार करने पर आपके दोनों हाथ जुड़ जाते हैं तो आप गुस्सा नहीं कर पाते हैं। और आपको यूं देखकर सामने वाले का भी गु्स्सा शांत हो जाता है। The Real Meaning and Significance of “Namaste! 4/7 फायदा.. जब आप हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं तो उस वक्त हथेलियों को दबाने से या जोड़े रखने से हृदयचक्र और आज्ञाचक्र में सक्रियता आती है जिससे जागरण बढ़ता है, आप का मन शांत हो जाता है जिसकी वजह से खुद ब खुद आप के चेहरे पर हंसी आ जाती है। The Real Meaning and Significance of “Namaste! 5/7 संस्कृत से उत्पत्ति नमस्कार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के नमस शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना। See more…
तो अब आप क्या सोच रहे हैं हैलो, हाय या फिर नमस्ते … वैसे मेरी तो नमस्ते है आप सभी को …
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एक महिला अपनी लडकी को बहुत प्यार करती थी. आप सोच रहे होंगें तो क्या ??? वो तो सभी करती हैं. अरे !! एक मिनट पूरी बात तो सुनिए. वो महिला इतना प्यार करती इतना प्यार करती कि शादी के बाद उसे हर धंटे फोन करती कि क्या हो रहा है. धीरे धीरे काम के बातो की बजाय बेमतलब की बाते ज्यादा होने लगी… बार बार फोन करके और क्या बात होगी… बुराईया करनी शुरु हो गई. सास ऐसी, ननद वैसी पति ऐसे … कुल मिलाकर लडकी के घर भी तनाव का माहौल बनने लगा. पर ये बात न तो मां को समझ आई और न उसकी प्यारी बिटिया को. आज वो ही बेटी हमेशा के लिए अपनी मां घर आ गई है.और अब मां बेटी के बीच में तनाव चल रहा है. वैसे आप तो अपनी बेटी को” इतना” प्यार नही करती होंगीं अगर करती है तो जरा नही बहुत सोचने की दरकार है.
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हम महिलाओ को सहने सवरने का बेहद शौक होता है पर जब बात गर्मी की हो तो त्राहि माम त्राहि माम अब आप खुद ही देखिए कैसे महिलाए चेहरा ढक कर बाहर निकलती है ऐसे में लिपस्टिक , पाऊडर और लाली चेहरे पर कैसे लगाएगी.
आज इस दुकानदार का सबसे बडा दुख यही है कि कोई महिला आ ही नही रही मेकअप का सामान खरीदने
दोपहर की चिलचिलाती धूप से बचने के लिए लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। महिलाए और छात्राएं हिजाब पहन कर घर से निकल रही हैं। इस बीच शीतल पेय की बिक्री बढ़ गई है। सॉफ्ट ड्रिंक के अलावा गन्ने और बेल के शरबत की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है। बेल का शरबत सबसे लोकप्रिय पेय बन गया है।
वो सब भी ठीक है पर जल्द से जल्द गर्मी कम हो ताकि महिलाए मेकअप की खरीददारी करने आ सकें
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Sportsmanship is important in reality shows …. रियलटी शो-इंडियन आइडल जूनियर शुरु हो गया है इस तरह के शो वाकई में बहुत अच्छे लगते है. जैसे लोग क्रिकेट मैच देखने के लिए चिप्स और ठंडा पेय अपने पास रख लेते हैं ऐसे ही अक्सर मैं भी करती हूं. पर शो के दौरान एक बच्चे की मासूमियत को देख कर उस पर तरस आया और उसके माता पिता पर बेहद गुस्सा. हुआ ये कि एक 7 साल का बच्चा अपना ओडिशन देने पिछले साल भी आया था पर डर या धबराहट में कुछ गा नही सका .पिछले साल का वो सीन भी दिखलाया था. क्या गाऊं क्या गाऊं कह कर बच्चा नर्वस हो गया था और बिना कुछ कर गाए वो चला गया . इस साल वो फिर आया पूरा तैयार होकर और आते ही उसने गाना सुनाना शुरु कर दिया. अच्छा था पर थोडा लय मे नही था. तीनों जज उसे इशारा करके रुकने को कहा पर वो रुका नही उल्टा उन्ही को इशारे मे मना करके गाता रहा.

एक जज स्टेज पर आ गए और उसे समझाया लेकिन अब उसे एक ही जिद थी कि पास कर दो … उसने पास कर दो कि रट लगा ली. बाहर खडे बच्चे के चाची बता रही थी कि पिछ्ली बार जब ये गा नही पाया था तो इसे इसके पापा से बहुत डांट पडी थी और शायद उसी का डर होगा कि स्टेज पर आते ही उसने गाना शुरु कर दिया और रुका नही और दूसरी बात उसका बार बार कहना कि पास कर दो .. जब तक पास नही करोगें मैं जाऊगां ही नही… मैं यही बैठा हूं.. मन में एक दर्द सा भर गया. इतना प्रैशर बच्चे पर …!!! फिर स्टेज पर उसके चाचा चाची , बुआ और मां को बुलाया गया और उन्हें भी समझाया गया वो भी अडे रहे कि बच्चे ने अच्छा गया वो जागरण मे भी गाता है. उसी के साथ साथ उन्होनें यह भी स्वीकारा कि बच्चे पर गाने का दवाब तो डाला ही है. जज से हो रही बात चीत मे बच्चा घबरा गया और उसे लगा कि उसका सिलेक्श्न नही हो पाएगा और उसने रोना शुरु कर दिया. बच्चे को रोता देख मन उदास हो गया बस यही बात मन में आ रही थी कि बच्चों को गायकी के साथ Sportsman spirit आनी भी सिखानी चाहिए और उससे भी ज्यादा जरुरी है कि माता पिता को यह भावना पहले सीखनी होगी

एक बात होती है शौक और टेलेंट और एक होती है थोपना … अगर अपनी खुशी से गाया जाए तो वो गाने में साफ झलकती है .. पर मासूम पर दवाब डाला जाए कि इस बार सेलेक्ट होना ही है नही तो … बच्चे में डर सा बैठ जाता है और गानें मे उसका डर साफ झलकता है.
कोई शक नही हर माता पिता चाह्ते हैं कि उनके बच्चे टीवी पर आए पर तनाव नही देना चाहिए बहुत ज्यादा उम्मीद नही बना लेनी चाहिए वो कहते हैं ना कि खेल भावना यानि Sportsman spirit भी सिखानी चाहिए और खुद भी आनी चाहिए कि चलो इस बार नही तो कोई नही अगली बार सही. पर बच्चे पर दबाव डालना और जब बच्चे का सिलेक्श्न न हो तो जजों पर ही गलती निकलना ये भी सही नही है.
बच्चे मासूम और कोमल मन के होते हैं. बेशक, माता पिता को बहुत मेहनत करनी पडती है बच्चों के साथ …
क्या बच्चों का खेल है रिएलटी शो ?
भारत में टैलेंट से जुड़े रिएलटी शो की दिवानगी किसी से छुपी नहीं है. लगभग हर टीवी चैनल पर एक ऐसा शो दिखाई पड़ ही जाता है जिसे देखकर माता-पिता को लगे कि उनका बच्चा भी इसमें जा सकता है.
टेलैंट शो में आई हज़ारों की भीड़ में जहां बच्चे का चयनित होना खुशी की बात होती हैं, वहीं ना चुने जाने पर बच्चे के मनोबल पर क्या असर पड़ता है ? तनुजा कहती हैं “रिजेक्शन सहने की शक्ति कई बार बच्चों में नज़र नहीं आती. कई बार तो वो मानने को ही तैयार नहीं होते की उनमें वो टैलेंट नहीं है जिसे ढूंढा जा रहा है.” See more…
इंडियन आयडल, जूनियर में विशाल डडलानी एवं सलीम मर्चेंट और गायिका शालमली खोलगाडे, शो के जज हैं
संगीत निर्देशक विशाल डडलानी ने बताया, ‘‘एक गायक के रूप में, यह देखना वाकई में अद्भुत लगता है कि पैरेंट्स अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने बच्चों को इस छोटी सी उम्र में किस तरह प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित करते हैं। माता-पिता आजकल अपने बच्चों पर डाॅक्टर, इंजीनियर अथवा वकील बनने का दबाव नहीं डालते, बल्कि उनके रचनात्मक पहलू को निखारते हैं और उनके सर्वश्रेष्ठ पहलू को सामने लाते हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि जिन बच्चों का चयन किया गया है, वे सिंगिंग रियलटी शोज में नये मानदंड स्थापित करेंगे और संगीत उद्योग को वास्तव में कुछ बेहतरीन प्रतिभायें देंगे।‘‘
मशहूर गायिका शालमली खोलगाडे ने कहा, ‘‘इस सीजन में कुछ युवा उभरते गायक नजर आयेंगे। इनमें से कुछ निश्चित ही भारतीय संगीत उद्योग में नई लहर लेकर आयेंगे।‘‘
सलीम मर्चेंट ने बताया, ‘‘इंडियन आइडल ने भारत में सबसे बड़े सिंगिंग टैलेंट शो के रूप में अपनी अलग जगह बनाई है। इस साल की प्रतिभायें वाकई में बेहतरीन है। मैं अपने देश की प्रतिभा को देखकर बहुत दंग हूं।‘‘
बेशक इंडियन आइडल रियलटी शो जैसे अन्य शो प्रतिभावान बच्चों के लिए एक शानदार मंच साबित होते है पर जरुरत इस बात की है कि बच्चे को संगीत की शिक्षा के साथ साथ खेल भावना यानि Sportsman spirit भी सिखानी चाहिए और यही भावना पेरेंटस में खुद भी होनी चाहिए ताकि बच्चा अगर पीछे रह जाए तो उस को डांट न लगाई जाए दवाब न बनाया जाए …
How to Be a Good Sport: 6 Steps
Sportsmanship is essential when playing a sport of any kind. No one wants to play with a sore loser. Want know how to be a good sport? Read on! Read more…
कुला मिला कर यही बात कहना चाह्ती हूं कि बेशक ऐसे शो बहुत बडा मंच देते हैं और बच्चा रातो रात फेमस हो जाता है पर अगर किसी वजह से बच्चा आगे नही आ पाता तो माता पिता को भी बच्चे के दिल को समझते हुए Sportsmanship रखनी चाहिए यह खुस समझना और समझना चाहिए कि मंजिल यही खत्म नही हो गई है …
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‘मंजिल मिले ना मिले, ये तो मुकदर की बात है हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत बात है..
”
असफलता एक चुनौती है. सहजता और मजबूत इरादों से हमें इस चुनौती का डट कर मुकाबला करना चाहिए . पहले परीक्षा और अब नतीजों का महीना आया. बहुत छात्र पास हुए बहुत अच्छे अंक से पास हुए तो वही बहुत छात्र फेल भी हुए. सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जहां सफलता हमें बहुत कुछ सीखा जाती हैं वही असफलता भी हमे उससे भी कही ज्यादा सीखा कर जाती है बशर्ते हम दिल छोटा न करे और अपनी सोच नकारात्मक न रखें. एकाग्रता बढाए और सबसे ज्यादा जरुरी समय के मह्त्व को समझना है. कार्य करते रहें और जी जान से करते रहें.
हाल ही मैं मैने अपनी बात आप तक रखने के लिए नेट पर बहुत सर्च किया और ऐसी ऐसी बाते पता चली जो आपका मनोबल बढाएगी आप खुद भी मान जाएगें कि फिर हम क्यो नही … कम भी किसी से कम नही
Akhand Jyoti
इतिहास ऐसे न जाने कितने कर्मवीरों की गौरव-गाथा से भरा पड़ा है, जो जीवन-संग्राम में अनेक बार हार के भी नहीं हारे, और ऐसे उदाहरणों की भी कमी नहीं कि विजयी होने पर भी जिनका नाम पराजितों की श्रेणी में ही लिखा गया। राणा प्रताप, पोरस तथा पृथ्वी चौहान ऐसे ही कर्मवीरों में से हैं जो स्थूल रूप से हार कर भी नैतिक रूप से पराजित नहीं हुए। शृंखलाओं के संकटों के बीच भी उन्होंने अपने को पराजित स्वीकार नहीं किया। जीवन का अन्तिम अणु-कण संघर्ष के क्षेत्र पर लगा देने के बाद भी विजय न पा सकने वाले वीर आज भी विजयी व्यक्तियों के साथ ही गिने जा सकते हैं। उनकी परिस्थितियां अवश्य हारी किन्तु उनके प्रयत्न पराजित न हुए। यही उनकी विजय है जिसे यशस्वी कर्मवीरों के अतिरिक्त साधन सम्पन्नता के बल पर संयोगिक विजय पाने वाले कर्महीन कायर कभी नहीं पा सकते।
अकबर, अशोक और उलाउद्दीन खिलजी जैसे विजयी उन व्यक्तियों में से हैं जिनकी जीत भी आज तक हार के साथ ही लिखी जाती है। कलिंग का श्मशान बन जाना एक विजय थी और अशोक का नगर पर अधिकार कर लेना एक पराजय। पद्मिनी का जल जाना, भीमसिंह और गोरा बादल का जौहर कर डालना एक विजय थी और चित्तौड़ पर खिलजी का अधिकार एक पराजय थी। वन-वन फिर कर घास की रोटी खाने वाले प्रताप की आपत्ति एक विजय और मेवाड़ पर अकबर का झंडा फहराना एक पराजय। ऐसी पराजय थी जिसे अकबर ने स्वयं स्वीकार किया था। जय-पराजय की इन गाथाओं में हार-जीत का मानदण्ड आदर्श पुरुषार्थ, पराक्रम, साहस, धैर्य एवं प्रयत्न ही रहा है। राज्य अथवा नगरों पर अधिकार नहीं। See more…

लोग अकसर कहते हैं कि असफलता इंसान को तोड़ देती है लेकिन यह कथन गलत है। असफलता इंसान को नहीं तोड़ती बल्कि इंसान स्वयं ही हार मान लेता है। रिचर्ड हूकर कहते हैं कि ‘इंसान तब टूटता है, जब वो खुद से हार जाता है। अगर दुनिया की बात करें, तो वो तुम्हें तब तक नहीं हरा सकती, जब तक कि तुम खुद से न हार जाओ। इसलिए हमेशा अपनी हिम्मत बनाए रखो।’
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि, ‘जो व्यक्ति अपनी असफलताओं को स्वीकार कर जीवन में आगे बढ़ते हैं, उनका जीवन पहले से अधिक सुंदर हो जाता है। उनमें आत्मविश्वास और सद्गुणों का विकास होता है।’
महान व्यक्तित्व नेल्सन मंडेला ने 27 साल जेल में बिताने के बाद विश्वस्तर पर सफलता प्राप्त की। ऐसा वह इसलिए कर पाए क्योंकि वह असफलता से नहीं घबराए। यदि वह असफल नहीं होते तो कभी भी प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में सफल होकर हमारे प्रेरणास्रोत न बनते। महात्मा गांधी, प्रसिद्ध नेत्रहीन लेखिका हेलेन केलर, अपंग छात्रा से सफल धाविका बनने वाली विल्मा गोल्डीन रूडाल्फ, अब्राहम लिंकन, थॉमस एडीसन असफलता की सीढिय़ां चढ़कर ही सफलता के शीर्ष पर पहुंचे।
डिज्नीलैंड को कौन नही जानता. बच्चों का प्रिय कार्टून कोना है। इसके संस्थापक वाल्ट डिज़्नी को बार-बार असफलता का सामना करना पड़ा। उन्हें बचपन से ही कार्टून बनाने का शौक था। उन्होंने अनेक समाचार-पत्रों को साक्षात्कार दिया लेकिन सभी ने उन्हें लौटा दिया। पर उन्होंने हार नहीं मानी। आखिर एक दिन उनकी मेहनत व लगन ने उन्हें एक विश्वविख्यात कार्टूनिस्ट बनाकर पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” में छात्रों को कहा …
10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में सफल छात्रों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि जिंदगी में सफलता-विफलता स्वाभाविक है और जो विफलता को एक अवसर मानते हैं, वे सफलता का शिलान्यास भी करते हैं तथा इससे भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
मोदी ने कहा, ‘कुछ छात्र अच्छे अंक से पास हुए होंगे, कुछ के कम अंक आए होंगे। कुछ विफल भी हुए होंगे। जो फेल हुए हैं उनके लिए मेरा सुझाव है कि आप उस मोड़ पर हैं जहां से अब आपको तय करना है, आगे का रास्ता कौन सा होगा।’उन्होंने कहा, ‘जो विफल हुए हैं, उनसे मैं यही कहूंगा कि जिंदगी में सफलता-विफलता स्वाभाविक है। जो विफलता को एक अवसर मानता है, वह सफलता का शिलान्यास भी करता है। हम विफलता से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।’उन्होंने कहा कि आमतौर पर ज्यादातर स्टूडेंट्स को पता भी नहीं होता है, क्या पाना है, क्यों पाना है, लक्ष्य क्या है। विषयों और अवसरों की सीमाएं नहीं हैं। आप अपनी रूचि, प्रकृति, प्रवृत्ति के हिसाब से रास्ता चुनिए।प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को उत्तम शिक्षकों, उत्तम सैनिकों, उत्तम वैज्ञानिकों, कलाकार और संगीतकारों की आवश्यकता है। खेल-कूद कितना बड़ा क्षेत्र है, खेल-कूद जगत के लिए कितने उत्तम मानव संसाधन की आवश्यकता होती है।यानि इतने सारे क्षेत्र हैं। विश्व में जितने म्यूजियम बनते हैं, उसकी तुलना में भारत में म्यूजियम बहुत कम बनते हैं। कभी-कभी इस म्यूजियम के लिए योग्य व्यक्तियों को ढूंढना बड़ा मुश्किल हो जाता है।
पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की किताब ‘माई जर्नी ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इनटु ऐक्शन’ के एक प्रसंग का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें पायलट बनने की इच्छा थी। लेकिन जब वह पायलट बनने गए तो विफल हो गए।उन्होंने कहा कि उनका पास नहीं होना भी कितना बड़ा अवसर बन गया। वे देश के महान वैज्ञानिक बन गए। राष्ट्रपति बने। देश की परमाणु शक्ति के लिए उनका बहुत बड़ा योगदान रहा और इसलिए विफलता भी एक अवसर होती है।
हाल ही का एक उदाहरण यदि मैं आपको बताऊ अरुणिमा सिन्हा. आपकी हमारी तरह ही एक पतली दुबली सी लडकी थी. एक ट्रेन एक्सीडेंट में उसे अपना पैर गवाना पडा. वो नेशनल वालीवाल की खिलाडी थी. उसका कैरियर पूरी तरह से चौपट हो गया. वो भी हार मान सकती थी. जिंदगी भर रोना रो सकती थी पर नही… उसने हार नही मानी और पता है उसने क्या … आप हैरान हो जाएगें ये पढ कर कि उसने माऊंट एवेरेस्ट को फतह किया. जी हां विशाल पर्वत … विकलांग होते हुए भी इतना बडा जोखिम उठाया. हाल ही मे उसे पदमश्री से सम्मानित किया गया. किया \.
बच्चों को बचपन से ही यह बताया जाए कि जीवन में केवल सफलता प्राप्त करना ही बड़ी बात नहीं है बल्कि असफल होकर उससे शिक्षा प्राप्त करके आगे बढऩा भी बहुत हिम्मत का काम है तो असफलता व्यक्ति को निराश नहीं करेगी बल्कि उससे भी बड़ी कामयाबी और सफलता की एक सीढ़ी बनेगी। तो पास या फेल हमें इससे धबराना नही है बल्कि खुद को मजबूत करके और पक्के इरादें से जिंदगी के मैदान में उतरना है
तो अब हैं तैयार आप …असफलता को चुनौती के रुप में लेने के लिए… मत भूलिए कि हमें अपना रास्ता खुद ही बना है और हम बनाएगें जरुर बनाएगें … है ना !!!
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Monica Gupta,
on 5/31/2015
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महंगाई महंगाई महंगाई !!!! आम आदमी के लिए जीना मानो दूभर होता जा रहा है … कोई बचत करे तो तब करे जब कुछ बचे … यहां तो सैलरी आते ही… इसका बिल उसका बिल, दूध, बिजली, पानी, पैट्रोल , फीस, आदि भरते भरते जेब खाली हो जाती है… बेचारे पिगी बैंक का हाल आप देख ही रहे हैं
मध्यम वर्ग की लगभग आधी आबादी ने फलों पर किए जाने वाले खर्च का कम कर दिया है या फलों का उपभोग छोड दिया है। जी हां, ऎसा इसलिए हो रहा है कि क्योंकि बेमौसम बरसात के कारण पैदावार घटने से पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने और बिचौलियों की बढती भूमिका के कारण बाजार में इस वर्ष आम, केला, अंगूर और सेब जैसे फलों की कीमतों में पिछले वर्ष के इसी सीजन की तुलना में 45 फीसदी तक की बढोतरी हुई है जिसके कारण मौसमी फल आम जनता की पहुंच से दूर हो गए हैं.
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नई दिल्ली। हर महीने की एक तारीख का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। 1 तारीख का आमतौर पर मतलब होता है तनख्वाह आना। लेकिन, 1 जून यानी सोमवार को आपकी जेब भारी नहीं हल्की होगी। ऎसा इसलिए क्योंकि आपको मंहगाई का झटका लगने वाला है। सर्विस टैक्स की बढी दरें एक जून से लागू हो जाएंगी। सोमवार से 14 प्रतिशत सर्विस टैक्स देना होगा। इसमें एजुकेशन सेस भी शामिल होगा। अभी सर्विस टैक्स 12 प्रतिशत है। एजुकेशन सेस मिलाकर यह 12.36 प्रतिशत होता है। लेकिन एक जून से होटल में रूकना-खाना, गाडियां, मूवी टिकट की ऑनलाइन बुकिंग, मैरिज वेन्यू, केबल सर्विस, रेल और हवाई यात्रा समेत कई सेवाएं महंगी हो जाएंगी। निगेटिव लिस्ट में शामिल एग्रीकल्चर, मेडिकल, समेत 16 सेवाओं की कीमत में बदलाव नहीं होगा। इससे सरकार की कमाई में 25 फीसदी तक बढोतरी होगी। इस साल 2.09 लाख करोड रूपये मिलेंगे। पहले 1.68 लाख करोड कमाई का अनुमान था। ये सब भी होंगे महंगे-होटल में रूकना-खाना। -वाहन खरीदना। -मूवी टिकट की ऑनलाइन बुकिंग। – मैरिज वेन्यू। -केबल सर्विस। -कुरियर, एप बेस्ड कैब सर्विस। -ब्यूटी पार्लर-सैलून में मसाज। -प्लास्टिक बैग, बोतलबंद पानी। -म्यूजिक कंसर्ट, थीम पार्क। -इंश्योरेंस प्रीमियम भी होगा महंगा। -रेल और हवाई यात्रा समेत कई सेवाएं होगी महंगी। जानें, कितना पडेगा असर-1000 का टिकट 5 रूपए महंगा होगा। -1000 के खाने पर 49 रू. ज्यादा लगेंगे। -1000 रू. के मोबाइल बिल पर 16 रू. ज्यादा। List of products to get costlier from June 1 Read more…
कुल मिला कर इस महंगाई का कोई न कोई समाधान जरुर निकलना चाहिए अन्यथा …
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पर्यावरण हमारा मित्र
बरसात की बूंदें धरा पर पडते ही सौंधी सौंधी मिट्टी की महक शायद महंगें से महंगे इत्र को मात देती है.
हाई वे पर जाते हुए बहुत वाहनों का आवगमन हो रहा था. एक वाहन गुजरा जिसमे फल( केला,किन्नू) भरे हुए थे. एक वाहन सामने से आता दिखा जिसमे बोरिया भरी हुई थी शायद उसमे चावल भरे हुए थे. वही छोटे छोटे ट्राली आ रहे थे जिसमे सब्जियां भरी हुई थी. देख कर मन मे अजीब सी खुशी हो रही थी कि धान्य से कितना समृध है हमारा भारत!!! पर तभी अचानक दनदनाते हुए पाचं ट्रक एक साथ ओवर टेक करते हुए निकल गए और उन्हे देखते ही मन मे भरी खुशी काफूर हो गई. असल में, उन ट्रक, ट्राली मे लकडी काट कर ले जा रहे थे. ऐसा महसूस हुआ मानो कोई हमारी आक्सीजन ही छीन कर ले जा रहा हो !!! हे भगवान!!! इतना ही नही जिस तरह से हाई वे चौडे होते जा रहे हैं और सडक किनारे लगे पॆड कटते जा रहे हैं निसंदेह दुखद है.

चिंता का विषय है. इसे सहेज कर रखना हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए पर अफसोस हम जागरुक नही हैं … मुझे अच्छी तरह याद है हमसे स्कूल मे पौधे लगवाए गए. कोई बडा अधिकारी आ रहा था. हम सभी विधार्थियों ने मिल कर मैदान की सफाई की. धूमधाम से मुख्य अतिथि का स्वागत किया गया और पौधे लगवाए गए पर तीन दिन के बाद एक अन्य कल्चरल प्रोग्राम होना था तो वहां दरिया बिछा दी गई और पौधे वौधे सब … !!!!!
ऊंची इमारते बनवाए चले जा रहे हैं पर जब बात पेड कटवाने या उखाडने की आती है तो हम नम्बर वन है .. पर्यावरण शब्द का अर्थ है हमारे चारों ओर का आवरण। पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य है कि हम अपने चारों ओर के आवरण को संरक्षित करें तथा उसे अनुकूल बनाएं। पर्यावरण और प्राणी एक-दूसरे पर आश्रित हैं कृष्ण की गोवर्धन पर्वत की पूजा की शुरुआत का लौकिक पक्ष यही है कि जन सामान्य मिट्टी , पर्वत , वृक्ष एवं वनस्पति का आदर करना सीखें। श्रीकृष्ण ने स्वयं को ऋतुस्वरूप , वृक्ष स्वरूप , नदीस्वरूप एवं पर्वतस्वरूप कहकर इनके महत्व को रेखांकित किया है।
paryavaran sanrakshan
बालू तुम्हारे उदरस्थ अर्धजीर्ण भोजन है , नदियां तुम्हारी नाडि़यां हैं , पर्वत-पहाड़ तुम्हारे हृदयखंड हैं , समग्र वनस्पतियां , वृक्ष एवं औषधियां तुम्हारे रोम सदृश हैं। ये सभी हमारे लिए शिव बनें। हम नदी , वृक्षादि को तुम्हारे अंग स्वरूप समझकर इनका सम्मान और संरक्षण करते हैं। भारतीय परम्परा में धार्मिक कृत्यों में वृक्ष पूजा का महत्व है। पीपल को पूज्य मानकर उसे अटल सुहाग से सम्बद्ध किया गया है , भोजन में तुलसी का भोग पवित्र माना गया है , जो कई रोगों की रामबाण औषधि है। विल्व वृक्ष को भगवान शंकर से जोड़ा गया और ढाक , पलाश , दूर्वा एवं कुश जैसी वनस्पतियों को नवग्रह पूजा आदि धार्मिक कृत्यों से जोड़ा गया। पूजा के कलश में सप्तनदियों का जल एवं सप्तभृत्तिका का पूजन करना व्यक्ति में नदी व भूमि को पवित्र बनाए रखने की भावना का संचार करता था। सिंधु सभ्यता की मोहरों पर पशुओं एवं वृक्षों का अंकन , सम्राटों द्वारा अपने राजचिन्ह के रूप में वृक्षों एवं पशुओं को स्थान देना , गुप्त सम्राटों द्वारा बाज को पूज्य मानना , मार्गों में वृक्ष लगवाना , कुएं खुदवाना , दूसरे प्रदेशों से वृक्ष मंगवाना आदि तात्कालिक प्रयास पर्यावरण प्रेम को ही प्रदर्शित करते हैं। वैदिक ऋषि प्रार्थना करता है- पृथ्वी , जल , औषधि एवं वनस्पतियां हमारे लिए शांतिप्रद हों। ये शांतिप्रद तभी हो सकते हैं जब हम इनका सभी स्तरों पर संरक्षण करें। तभी भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण की इस विराट अवधारणा की सार्थकता है , जिसकी प्रासंगिकता आज इतनी बढ़ गई है। शेयर करें रेट करें Loading… See more…

खूबसूरत लहलहाती प्रकृति अपनी ओर अनायास ही आकर्षित कर लेती है और हम है कि इसे समाप्त करने मे जुटे हुए है.
अगर हम कुछ उपाय करना ही चाह्ते हैं तो ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए .. जन्मदिन पर पौधे उपहार स्वरुप दें. और सबसे जरुरी प्लास्टिक को न कहें … say no to plastic और यही बात अपने बच्चों को भी सिखानी है ताकि वो भी पर्यावरण की मह्त्ता को समझे और अपना अमूल्य योगदान दे. पेड पौधे होगें तो तितली और पक्षी आएगें उनका कलरव . उनका चहकना हमारे दिलों में नई स्फूर्ति भर देगा.
पर्यावरण हमारा मित्र ही नही हमारा बेस्ट फ्रेंड होना चाहिए. लीजिए मैने तो एक तुलसी का पौधा लगा कर पर्यावरण दिन को मना लिया है और आपने ???
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हमारी धरोहर जोकि खंडहर होती जा रही हैं. आजकल ऐतिहासिक धारावाहिको का बहुत बोलबाला है . अच्छा भी है इसी बहाने ही सही हमें अपने इतिहास की जानकारी मिलती है कि उस समय उनका रहन सहन, खान पान, आभूषण आदि पहनावा कैसा था और सबसे ज्यादा आकर्षित करती है उस जमाने की इमारते … बडे बडे ऊंचे महल जोकि आज खंडहर हो चुके हैं . वैसे कम से कम हम उन खंडहरों को तो देख पा रहे हैं यही हालात रहे तो पर आगे आनी वाली पीढी तो ये भी नही देख पाएगी. अफसोस ये सिर्फ धारावाहिको तक में ही सिमट कर रह जाएगा. कुछ समय पहले दिल्ली में हुमायूं के मकबरे को देखने का मौका मिला. उसकी ना सिर्फ मरम्मत की गई है बल्कि मूल भवन निर्माण सामग्री और तकनीकों का इस्तेमाल कर उसके सौंदर्य की पुनर्प्रतिष्ठा भी कर दी गई पर दिल्ली और देश के बाकी धरोहरों का क्या?
विश्व धरोहर स्थल
मानवता के लिए अत्यंत महत्व की जगह, जो आगे आने वाली पीढि़यों के लिए बचाकर रखी जानी होती हैं, उन्हें विश्व धरोहर स्थल (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के रूप में जाना जाता है। ऐसे महत्वपूर्ण स्थलों के संरक्षण की पहल यूनेस्को द्वारा की गई। इस आशय की एक अंतर्राष्ट्रीय संधि जो कि विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण की बात करती है के 1972 में लागू की गई।
विश्व धरोहर समिति इस संधि के तहत् निम्न तीन श्रेणियों में आने वाली संपत्तियों को शामिल करती है –
प्राकृतिक धरोहर स्थल – ऐसी धरोहर भौतिक या भौगोलिक प्राकृतिक निर्माण का परिणाम या भौतिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर या वैज्ञानिक महत्व की जगह या भौतिक और भौगोलिक महत्व वाली यह जगह किसी विलुप्ति के कगार पर खड़े जीव या वनस्पति का प्राकृतिक आवास हो सकती है।
सांस्कृतिक धरोहर स्थल – इस श्रेणी की धरोहर में स्मारक, स्थापत्य की इमारतें, मूर्तिकारी, चित्रकारी, स्थापत्य की झलक वाले, शिलालेख, गुफा आवास और वैश्विक महत्व वाले स्थान; इमारतों का समूह, अकेली इमारतें या आपस में संबद्ध इमारतों का समूह; स्थापत्य में किया मानव का काम या प्रकृति और मानव के संयुक्त प्रयास का प्रतिफल, जो कि ऐतिहासिक, सौंदर्य, जातीय, मानवविज्ञान या वैश्विक दृष्टि से महत्व की हो, शामिल की जाती हैं।
मिश्रित धरोहर स्थल – इस श्रेणी के अंतर्गत् वह धरोहर स्थल आते हैं जो कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों ही रूपों में महत्वपूर्ण होती हैं।
भारत को विश्व धरोहर सूची में 14 नवंबर 1977 में स्थान मिला। तब से अब तक पांच भारतीय स्थलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया जा चुका है। इसके अलावा फूलों की घाटी को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के एक भाग रूप में इस सूची में शामिल कर लिया गया है।
भारतीय विश्व धरोहर स्थल –
काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क (1985)
केवलादेव राष्ट्रीय पार्क (1985)
मानस वन्यजीव सेंक्चुरी (1985)
नंदा देवी (1988) तथा फूलों की घाटी (2005), नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के विस्तार के रूप में
सुदरबन राष्ट्रीय पार्क (1987)
बदहाल इमारते
पर क्या हमने इससे कोई सबक लिया? बिलकुल नहीं. आजादी के समय हमारे देश में ऐतिहासिक महत्व की जितनी इमारतें थीं, आज उनकी तादाद काफी हद तक घट चुकी है. अनेक इमारतों पर लोगों ने अवैध कब्जे कर लिए, तोड़ कर नई इमारतें खड़ी कर लीं और उनके इर्द-गिर्द इतना निर्माण कर लिया कि उन ऐतिहासिक इमारतों की पहचान ही खत्म हो गई. दूर क्यों जाएं, राजधानी दिल्ली की ही बात करें. ऐतिहासिक निजामुद्दीन बस्ती की जिस इमारत में सुल्तान मुहम्मद बिन-तुगलक के शासनकाल में महान यायावर इब्नबतूता आकर रहे थे, उसे भी तोड़ दिया गया है और उसकी जगह नया भवन बना लिया गया है. पुलिस और नगर निगम ऐसी घटनाओं के मूक दर्शक बने रहते हैं. अव्वल तो पुरातात्विक सर्वेक्षण स्वयं इस प्रकार की घटनाओं के प्रति उदासीनता बरतता है, और जब कभी वह हरकत में आता भी है तो अतिक्रमण हटाने के काम में उसकी मदद करने के लिए आवश्यक पुलिस बल और स्थानीय प्रशासन का समय पर अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता. See more…
कोई दो राय नही है कि खासियतें खींचती हैं दुनिया को हमारी और आने के लिए …
देश में खान पान हो, रहन सहन या फिर तीज त्यौहार और रस्म अदावतें, सब धरोहर की तरह पीढ़ी दर पीढ़ी सदियों से समाज की ओर से आगे बढ़ रही है. लखनऊ की नफासत, बनारस की अदावत या दिल्ली की शान ओ शौकत से लबरेज तहजीब, सब का अंदाज ए बयां कुछ और ही है. ये इतिहास का अकाट्य सत्य है कि अपनी सभ्यता संस्कृति से बेइंतहा मोहब्बत करने वाले भारतीय लोगों में अतीत की विरासत से रूबरू कराती धरोहरों के लिए खास लगाव होने के वाबजूद सरकार के ध्यान न दिए जाने पर विरासत से जुड़ी धरोहरें खंडहर में तब्दील होती जा रही है. उए सबसे बडा दुर्भाग्य माना जा सकता है .
बोलते खंडहरों से संवाद
हालाकि बोलते पत्थरों की जुबान को आपकी अपनी भाषा, आपकी लय-ताल के साथ पेश करने का जिम्मा देश की कुछ प्रमुख संगठनों ने संभाला है और आपके लिए विरासत की सैर के बहाने इतिहास से दो-चार होने के कुछ बेहद खास पलों को संजोया है। 1857 के गदर के तार दिल्ली से कैसे जुड़े थे? जामा मस्जिद में नमाज़ अता कर निकले मुगल सम्राट औरंगज़ेेब के हिंदू फरियादी और काशी विश्वनाथ मंदिर का क्या रिश्ता है? क्या सचमुच आज से सौ साल पहले तक शाहजहांनाबाद शहर की हदबंदी से बाहर निकलने का मतलब होता था कि आप शिकार पर जा रहे हैं? इन रोचक सवालों के उतने ही रोचक जवाब आपको इतिहास की पोथियों में भले ही घंटों बिताने पर पता चलें लेकिन धरोहरों से संवाद कायम करने वाली हेरिटेज वॉक में आपको ऐसी ही ढेरों जानकारी चुटकियों में मिल जाती हैं। आपके अपने शहर के सीने में ऐसे कितने ही किस्से-कहानियां और राज़ छिपे हैं। दिल्ली उन गिने-चुने आधुनिक शहरों में से है, जिसके पिछवाड़े आज भी इतिहास की दस्तक साफ सुनी जा सकती है। यहां के खंडहरों, भग्नावशेषों और किलों से लेकर चांदनी चौक की गलियों-कूचों तक में पुराने दिनों की महक अब भी पसरी हुई है। जरूरत है तो बस थोड़ा वक्त निकालकर इतिहास की उन धड़कनों को सुनने की जो इस दौर के भागते-दौड़ते इनसान से गुफ्तगू करने के लिए हरदम तैयार हैं। इस क्रम में सबसे पहले बात करें इंटैक (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज) की जो कई सालों से हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को हेरिटेज वॉक जैसे आयोजनों के माध्यम से रोचक अंदाज़ में परोसती आयी है। इंटैक ने राजधानी के खुशनुमा मौसम के मद्देनजऱ फिर कुछ गलियों-कूचों, दयारों और महलों-किलों की बरसों पुरानी परतों में समाए इतिहास को उलट-पुलट करने का कार्यक्रम बना लिया है। इस कड़ी में संस्था हर वीकेंड पर दिल्लीवासियों को अपनी धरोहर की सैर पर ले जाती है। पिछले दिनों शाहजहांनाबाद के बाजारों से लेकर दक्षिण दिल्ली में महरौली के पुरातत्व पार्क और पुरानी दिल्ली में तुर्कमान गेट से बड शाह बुला तक की सैर करायी गई। जाने-माने इतिहासकार अपनी रोचक शैली में राजधानीवासियों को अपने शहर के बीते दौर को जानने-समझने का मौका देते हैं। इंटैक का यह सिलसिला अभी जारी रहेगा और लोधी गार्डन में खड़े दिल्ली सल्तनत युग की याद ताज़ा कराते हुए ऐतिहासिक खण्डहरों से होते हुए पुराने किले के भग्नावशेषों से रूबरू कराएगा। हेरिटेज वॉक प्राय: सवेरे 8 से 11 बजे के बीच शनिवार और रविवार को आयोजित की जाती है ताकि स्कूल-कॉलेजों के छात्रों के अलावा वे नौकरीपेशा भी इनमें शामिल हो सकें जिन्हें खण्डहरों से आती इतिहास की आवाज़ें सुनने का शौक है। जरूरी नहीं कि इतिहास की आवाज़ सुनने के लिए आप इतिहास के छात्र हों, अगर इस शहर में खड़े फिरोज़शाह कोटला में आपकी दिलचस्पी क्रिकेट से आगे जाती है तो यकीनन इस 14वीं सदी के किले की बची-खुची दीवारें आज भी आपकी बोट जोह रही हैं। दिल्ली सरकार के संगठन दिल्ली हेरिटेज मैनेजमेंट सेक्रेटेरियेट ने भी इस शहर के इतिहास पर पड़ी वक्त की गर्द को झाड़ने-पोंछने का जिम्मा लिया है और हेरिटेज वॉक के बहाने बीते वक्त की सैर करा रहे हैं। विरासत की सैर का जिम्मा संभालने वाले इतिहासकार (वॉक लीडर) जैसे कथा-कहानियों के अद्भुत शिल्पी भी होते हैं। हमारे ही शहर के उन पक्षों को वो रोचक शैली में प्रस्तुत करते हैं जिनसे हम अकसर अनजान होते हैं या फिर जिनके बारे में बहुत थोड़ा जानते हैं। सप्ताहांत की शुरुआत का इससे बेहतर तरीका भला और क्या होगा कि आप अपने आपको जानने से दिन की शुरुआत करें। यकीन मानिए, हम भले ही खुद को जानने-समझने और पहचानने का कितना भी दावा क्यों न करते आए हों, लेकिन जब ऐतिहासिक धरोहरों से रूबरू होते हैं तो लगता है जैसे इतिहास इनमें परत-दर-परत दफन है और हम अपने ही आसपास खड़ी इन इमारतों से बेपरवाह रहते आए हैं। हेरिटेज वॉक कराने वाले इतिहासकार कभी दिल्ली के दरवाज़ों से गुजरते हुए उन हालातों का विश्लेषण करते हैं जिनके चलते दिल्ली शहर बहुत पहले से ही हमलावरों के निशाने पर रहा है और कई-कई बार उजड़कर बार-बार बसता आया है। कभी अजमेरी गेट का इतिहास टटोलते हैं तो फिर तुर्कमान गेट की खैर-खबर लेते हैं और कभी लाहौरी गेट या कश्मीर जाने वाले व्यापारियों के कारवां से किसी ज़माने में गुलज़ार रहने वाले कश्मीरी गेट का हाल-ए-दिल सुना-सुनाया जाता है। इसी तरह, हुमायूं के मकबरे की खोज-खबर लेने तो कभी कुतुब मीनार और उसके आसपास खड़े इतिहास के सिपहसालारों का भी हालचाल जानने हेरिटेज वॉक टोली पहुंचती है। दिल्ली सरकार के लिए हेरिटेज वॉक कराती आयीं जानी-मानी शख्सियत नवीना जाफा कहती हैं कि शुरुआत में इस तरह की वॉक अभिजात्य समझी जाती थीं। यहां तक कि एक समय था जब सिर्फ विदेशी सैलानी ही इनमें शिरकत करते थे जबकि शहरवासियों को लगता था कि इस तरह की सैर से उनका क्या वास्ता! यही वजह थी कि इनमें आम जनता की भागीदारी काफी सीमित रहा करती थी वहीं अब राजधानी का मध्य वर्ग इनसे जुड़ रहा है और वीकेन्ड हेरिटेज वॉक में शामिल लोगों की बढ़ती संख्या इस बात का पुख्ता सबूत है कि दिल्लीवासियों को अपने अतीत से बहुत प्यार है। दिल्ली कैरावान ऐसा ही हरिटेज वॉक ग्रुप है जो तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। कभी दिल्ली-6 की गलियों-कूचों में तो कभी पहाड़गंज की गलियों की खान-पान संस्कृति से रूबरू कराने के साथ-साथ यह शहर की ऐतिहासिक परंपराओं की झलक भी बखूबी पेश करता है। देसी-विदेशी सैलानी और दिल्लीवासी तेजी से उनसे जुड़ रहे हैं। धरोहरों को टटोलने के लिए फेसबुक के जरिए निमंत्रण, प्रचार और फेसबुक फैन्स का नेटवर्क काफी उपयोगी साबित हो रहा है।
इतिहास और ऐतिहासिक धरोहरों की वो समझ दी है कि आज अगर मेरे स्कूली टीचर मुझसे मिलें तो ‘स्टम्प’ हो जाएंगे। इतिहास की जानकारी न रखने वाले सामान्य लोगों को भी इस तरह की विरासत की सैर करने पर महसूस होता है कि पत्थर सचमुच बोलते हैं। खण्डहर खुद-ब-खुद अपनी दीवारों में कैद किस्से-कहानियां कहने लगते हैं और गुजरे जमाने के राजाओं-रानियों की प्रेम कहानियों से लेकर खूनी इतिहास की परतें खुलने लगती हैं। विरासत की सैर और कला के अन्य कार्यक्रमों की जानकारी देने वाली कई वेबसाइटें और फेसबुक पेज भी आजकल लोकप्रिय हो रहे हैं। तो अब आप सुबह-सवेरे उठने और अपना ट्रैक सूट पहनकर इतिहास को जानने के लिए निकलने को तैयार हो जाइये। See more…
कुछ भी हो हमें इन इमारतों को सहेजना ही होगा ताकि हम आने वाली पीढी के सामने गर्व से सिर उठा कर कह सके ये है मेरा भारत …
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मेरी पडोसन शीना गर्भवती थी. पडोस मे रहने की वजह से मेरी जिम्मेदारी बढ गई थी कि उसका ख्याल रखूं वैसे भी वो नव विवाहिता है शादी के बाद तीसरे महीने मे ही वो गर्भवती हो गई. आज जब मैं उसके घर गई तो वो टीवी पर कोई हारर मूवी देख रही थी. अरे !! … ये मत देखो बच्चे पर बुरा असर पड सकता है. उसने तुरंत टीवी बंद कर दिया. वाकई में, गर्भावस्था के दौरान बहुत ध्यान देने की जरुरत होती है. बेशक टीवी चैनल ढेर सारे हैं और हमारा मंनोरंजन भी करते हैं पर इस बात का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए कि क्या देखें और क्या नही. मुझे याद है गीता(मेरी सहेली) ने अपने समय बहुत धार्मिक किताबें पढी थी और रोज सुबह पूजा करती थी आज उसका बेटा 10 साल का है और वो हमेशा अच्छी किताबे पढने में ही लगा रहता है. एक अन्य सहेली सविता को चाय अच्छी नही लगती थी उसने चाय पीना बिल्कुल छोड दिया और आज देखो उसका बेटा 20 साल का हो गया नौकरी भी करने लगा पर आज तक उसने चाय का स्वाद नही लिया जबकि मेरी सहेली ने बेटे को जन्म देते ही चाय पी और उसे बहुत स्वादिष्ट लगी. अच्छा साहित्य, साफ मन( चुगली चपाटी नही) , स्वच्छ हवा से मन प्रसन्न रहता है और बच्चे पर इसका बहुत अच्छा असर पडता है

dont forget nine rules in pregnancy
दुनिया के सभी धर्म ग्रंथों ने रिश्तों में मां का दर्जा सबसे ऊंचा माना है। संतान की पहली गुरु मां होती है। वही उसे पालती है। उसकी गोद में बच्चा जो भाषा सीखता है उसे मातृभाषा कहा जाता है। हमारी सनातन संस्कृति में गौरीशंकर, सीताराम, राधेश्याम जैसे नाम रखने की परंपरा भी यह साबित करती है कि मां का स्थान दुनिया के और दस्तूरों से बड़ा और सबसे पहले है। ऋषियों, दार्शनिकों ने ग्रंथों में ऐसी कई बातों का उल्लेख किया है जिनका ध्यान गर्भवती महिला को रखना चाहिए, क्योंकि उसका उल्लंघन न सिर्फ बच्चे के लिए, बल्कि उसके लिए भी हानिकारक हो सकता है।
जानिए ऐसी ही कुछ बातें- 1- गर्भावस्था में मल-मूत्र, अपानवायु, छींक, प्यास, भूख, नींद, खांसी, जम्हाई जैसे आवेगों को रोकना नहीं चाहिए। साधारण अवस्था में भी इन्हें रोकने से हानि होती है, इसलिए गर्भावस्था में इन्हें कभी नहीं रोकना चाहिए।2- क्रोध न करें, अप्रिय बातें न सुनें, न करें। वाद-विवाद में न पड़ें। भयानक दृश्य, टीवी-सिनेमा के ऐसे कार्यक्रम जो डरावने हों, न देखें। तीव्र व तीखी ध्वनि उत्पन्न करने वाले स्थानों से दूर रहें।3- रात्रि को देर तक न जागें। सुबह देर तक न सोएं। दोपहर को थोड़ा विश्राम करें लेकिन बहुत गहरी नींद न लें।4- सख्त, पथरीले, टेढे़ स्थानों पर न बैठें। पर्वत, ऊंचे घर, लंबी सीढ़ियां, रेत के टीले पर न चढ़ें।5- बहुत चुस्त और गहरे रंग के वस्त्र न पहनें। इस दौरान अधिक आभूषण पहनना भी हानिकारक होता है।6- हमेशा करवट लेकर ही सोएं। करवट को समय-समय पर बदलें। घुटने मोड़कर, सीधे या उल्टे सोने से नुकसान हो सकता है।7- दुर्गंध वाले स्थानों, खट्टे खाद्य पदार्थ वाले वृक्षों, अत्यधिक धूप और पानी के सरोवर से दूर रहें।8- अनुभवी वैद्य या चिकित्सक की सलाह के बिना कोई औषधि न लें। जोर-जोर से सांस न लें। सांस को रोकने की कोशिश न करें।9- अपने इष्ट देव का ध्यान करें लेकिन लंबे उपवास न करें। अत्यधिक वात कारक, मिर्च-मसालेदार, बासी पदार्थ तथा मादक पदार्थों का सेवन कभी नहीं करना चाहिए Read more…
इसी के साथ साथ …
स्ट्रेच मार्क्स पर ध्यान न दें जैसे-जैसे पेट का आकार बढ़ता है, उस पर स्ट्रेच लाइंस आती ही हैं। इस बात को स्वीकार करें और इन लाइंस पर अधिक ध्यान न दें। संपूर्ण आहार और विटामिन ई युक्त मॉइस्चराइजिंग लोशन या तेल लगाकर आप इन्हें कम कर सकती हैं। प्रतिदिन स्नान के बाद इस लोशन को लगाएं, क्योंकि इस समय त्वचा तेजी से नमी सोख सकती है।
त्वचा का खास ख्याल रखें
नौ महीनों के दौरान त्वचा और बालों का विशेष ख्याल रखें। एक चम्मच दही और बादाम तेल की कुछ बूंदों को मिलाएं। इसमें थोड़ा गुलाब जल डालें। इसे त्वचा पर मलें और कुछ देर सूखने के बाद धो दें। इससे त्वचा कोमल होती है। इसके अलावा 4 चम्मच क्रीम, 1-1 चम्मच बादाम तेल, खीरे का रस, शहद, गुलाब जल और नीबू का रस मिला लें। इसे छोटे से डिब्बे में रखकर फ्रिज में रख दें। इसे हर रात लगाएं और सुबह धो दें। इससे त्वचा में चमक बढ़ेगी।
सन्स्क्रीन का प्रयोग:
गर्भावस्था के दौरान त्वचा का काला पड़ना एक आम समस्या है। आपके चेहरे की रंगत फीकी पड़ सकती है, साथ ही पेट के आसपास के हिस्से में भी कालापन बढ़ने लगता है। यह मुख्य रूप से शरीर में मेलानिन पिग्मेंट के बढ़ने के कारण होता है। इस पर नियंत्रण रखने के लिए आप सन्स्क्रीन लोशन और स्क्रब लगा सकती हैं …
खूब पानी पीना, हरी सब्जी खाना और व्यायाम के साथ साथ तनाव नही रखना पूरा ध्यान इस बात पर रहना चाहिए कि आपका बच्चा तंदुरुस्त हो और हां सबसे जरुरी बार तो बताना ही भूल गई स्माईल रहनी चाहिए आपके चेहरे पर ताकि बच्चा भी हमेशा मुस्कुराता रहे … बाकि समय समय पर अपनी डाक्टर से जानकारी लेते रहिए और … और … और अपना ख्याल रखिएगा होने वाली मम्मी 
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Touch Therapy बहुत काम की चीज है कई बार टच करते ही दर्द उडन छू हो जाता है यह बात तो आपने भी महसूस की होगी जब मम्मी हमारे सिर पर हाथ रखती है तो दर्द किस तरह उडन छू हो जाता है और सारी थकावट भाग जाती है. बच्चों को जब देर रात तक तनाव के चलते नींद नही आती तो मम्मी पापा प्यार से हाथ रखते हैं सिर सहलाते है और नींद आ जाती है यही होता है Touch Therapy का जादू …

The Cuddle Sutra & the Benefits of Touch Therapy.
“Do you find yourself depressed at times? Do you ever feel lonely and wish that you could just talk to someone that would genuinely listen? Do you find yourself suffering from stress, anxiety, or sleep loss? If you answered yes to any of these questions, then you are not alone. Many people lack the companionship they want in their everyday life. Read more…
कुल मिला यही कह सकते हैं कि The sense of touch is an important part of being a healthy, happy human being. But when someone is ill, touch can make the world of a difference. This hepls us in many ways like … Relieving tension and helping with relaxation, Helping to manage stress, Alleviating aloneness and creating a sense of connectedness, helping to relieve pain or to alter the perception of pain.
People believe touch therapy help to speed the healing process or strengthen the immune system in some patients.
और इस बात मे कोई शक नही कि Touch Therapy मे वाकई जादू है …
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टैग कुछ देर पहले फेसबुक चैक किया खुशी का ठिकाना नही रहा जब देखा कि 30 मोटिफिकेशन आई हुई थी. जल्दबाजी में फेसबुक खोलना चाहा पर शायद नेट वर्क स्लो था. सोच रही थी कि ना जाने किस पोस्ट पर क्या क्या कमेंट आए होंगे… खैर कुछ देर बाद नेट चला और फेसबुक खोला तो मेरी पोस्ट पर कोई कमेंट नही था अलबत्ता जिस महाशय ने 50 लोगो के साथ मुझे भी टैग किया हुआ था उन्ही में बात चीत चल रही थी. हे भगवान !!!
बेशक, फेसबुक दिन-दिन हमारी दिनचर्या का एक अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है।हम लोग हमेशा अपने दोस्तों तथा नाते-रिश्तेदारों के सम्पर्क में रहना चाहते हैं। इसके लिए वे हमेशा कुछ न कुछ शेयर करते रहते हैं। कई खास मौकों पर लोग फोटो भी शेयर करते हैं और फोटो शेयर करते वक्त कई लोग दोस्तों को फोटो के साथ टैग कर देते हैं। अरे भई हमे क्यो बकरा बनाते हो … हमे बक्शो…
यहाँ तक तो ठीक है, लेकिन कई बार लोग ऐसी फोटो अपलोड करके हमें टैग कर देते हैं जो हमें बिल्कुल पसंद नहीं होते। कई बार तो एक ही साथ पचास पचास लोगों को टैग कर देये हैं अब उन्हें अनटैग करें तो मुसीबत न करे तो उनकी सारी पोस्ट झेलनी पडती है … उन्हे बहुत बार समझाया भी जाता है पर उनके कानों पर से जूं तक नही रेंगती … ऐसे मे कई बार मन करता है कि टैग करने वालो को तो फांसी ही दे देनी चाहिए…
SATISH CHANDRA SATYARTHI
द टैगकर्ता- ये फेसबुक पर पायी जाने वाली सबसे खतरनाक किस्म की प्रजाति है. ये फेसबुक पर पोस्ट-वोस्ट नहीं लिखते. बस हर दिन सौ-पचास फोटो अपलोड करते हैं- फूल, नदी, जानवर, सेलेब्रिटी, देवी-देवता, उपदेश इत्यादि की. गूगल इमेज सर्च को ये दुनिया के लिए वरदान मानते हैं. ये बड़े भोले किस्म के जीव होते हैं. ये हर फोटो में सौ-पचास लोगों को टैग करते हैं. इनको लगता है कि जो महान और ख़ूबसूरत फोटो इन्होने अपलोड की है उसे सबको दिखाना इनका कर्तव्य है. अब लोग लापरवाह हैं, कहीं भूल जाएँ देखना; तो इसलिए ये उनको टैग कर देते हैं. कभी-कभी तो ये अपनी पासपोर्ट साइज़ फोटो में सौ-दो सौ लोगों को टैग कर देते हैं. See more…
टैग के मामले में ,कुल मिलाकर यही समझ आता है कि उन्हें तो समझ आना मुश्किल ही नही नामुमकिन है इसलिए जनता की अदालत उन्हे सजाए मौत का हुक्म देती है …
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No smoking please
एक जानकार बहुत स्मोक करते हैं वो हर बार अपना टारगेट रख लेते है कि बस होली के बाद कभी लूंगा… फिर राखी पर बात आती है फिर दीपावली पर और फिर नए साल पर … साल दर साल गुजरते जा रहे हैं पर छोड नही पा रहे. मुझे एक बात याद आई कि एक आदमी ने पेड पकडा हुआ और जोर जोर से चिल्ला रहा कि बचाओ पेड ने मुझे पकड रखा है .. जो देखता हंसता कि भई पेड क्या पकडेगा. तूने ही पेड को पकडा हुआ है. हमारे जानकार भी हालत भी ऐसी ही है. सिग्रेट को पकडा उन्होनें हुआ है और चिल्ला रहे हैं कि बचाओ सिग्रेट ने उन्हें पकडा हुआ है … ह हा हा !!! वैसे हंसना नही चाहिए क्योकि बात बहुत गम्भीर है.
31 मई को वर्ल्ड नो स्मोकिंग डे है सोचा आज इसी पर अपने विचार लिख डालू smoking पर सर्वे करने के बाद हैरानी ये पढ कर हुई कि नशे की लत में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं और तो और महिला स्मोकर्स की तादाद में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। एम्स के डॉक्टरों का दावा है कि पिछले पांच सालों में महिलाओं में स्मोकिंग 11 पर्सेंट से बढ़कर 20 पर्सेंट तक पहुंच गया है। डॉक्टरों का यह भी कहना है कि महिलाओं में स्मोकिंग की यह लत साल दर साल बढ़ती ही जा रही है.
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (गैट्स) के अनुसार भारत में कुल जनसंख्या के लगभग 35 पर्सेंट लोग नशा करते हैं। इसमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। मौजूदा समय में 20 पर्सेंट महिलाएं नशे की गिरफ्त में हैं। 31 मई को वर्ल्ड नो स्मोकिंग डे है। स्मोकिंग को लेकर एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि आजकल अगर कोई नशा करता है, चाहे वह महिला हो या पुरुष, अब वे स्मोकिंग को अपना स्टेटस मानते हैं और मजबूरी नहीं, बल्कि शौक से पीते हैं। यही शौक उनकी लत बन जाती है और फिर यह लत एक दिन उन्हें बीमार करती है। अब पुरुषों की तरह महिलाएं भी कम उम्र में सिगरेट पीना शुरू कर रही हैं। कहीं-कहीं तो यह भी देखा गया है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा सिगरेट पीती हैं। उनकी यही आदत स्वास्थ्य को बहुत ही ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। इसकी वजह से उनमें फेफड़ों के कैंसर का रिस्क और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
इस बारे में राष्ट्रीय दवा निर्भरता उपचार केंद्र (एनडीडीटीसी) के हेड डॉक्टर एस. खंडेलवाल का कहना है कि तंबाकू का यूज चाहे किसी रूप में किया जाए, उसका नुकसान तो होना ही है।
एनडीडीटीसी में अडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर सोनाली ने कहा कि आजकल बच्चे भी नशे के आदी होते जा रहे हैं। बच्चों में नशे की लत इतनी तेजी से बढ़ रही है कि अगर उसको रोकने के लिए जल्द ही कुछ कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो उसके नतीजे काफी खतरनाक हो सकते हैं। क्योंकि अगर बच्चे दस साल की उम्र में कोई नशा करते हैं तो वह लंबे समय तक इसका यूज करेंगे और उसे खतरनाक बीमारी होने की आशंका ज्यादा होती है। डॉक्टर ने कहा कि अब स्मोकिंग छोड़ने के कई उपाय हैं जिनमें मेडिकेशन, काउंसलिंग और जरूरी दवा के जरिए अपनी इस लत से छुटकारा पाया जा सकता है
No smoking please….
6 Ways Quitting Smoking Is Good for Your Heart| Everyday Health
One of the most important things you can do to keep your heart healthy — and to keep it beating for as long as possible — is to avoid or quit smoking. If you’re a smoker, kicking the habit can heal the damage nicotine inflicts on your heart and on your longevity in several striking ways. See more…
सस्मोकिंग की चाह जगे तो पुस्तक पढें, कसरत करें और ध्यान में मन लगाएं। सकारात्मक सोच और दृढ़ इच्छाशक्ति से ही इस बुरी आदत से मुक्त हो सकेंगे। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार शतावरी, ब्राह्मी, अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियां और त्रिफला व सुदर्शन चूर्ण शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। लिंग और जरूरी दवा के जरिए अपनी इस लत से छुटकारा पाया जा सकता है
best way to quit smoking
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कुल मिला कर यही कहना है कि जो अखबार मे लिखा रहता है कि सिगेट पीना स्वास्थय के लिए हानिकारक है वो ऐसे ही नही लिखा हुआ … वाकई में बहुत भाव छिपा है इसके पीछे … अगर आप वाकई में … गौर कीजिएगा, वाकई में छोडना चाह्तें हैं तो आप इसे छोड सकते हैं क्योकि सिग्रेट ने आपको नही बल्कि आपने सिग्रेट यानि मौत को पकड रखा है… और शुभ काम के लिए हर समय शुभ है और सिग्रेट छोडने से ज्यादा शुभ विचार कोई और हो ही नही सकता
No smoking please….
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Twitter … Twitter … हर कोई सोशल नेट वर्किंग साईट पर लगा टवीट किए जा रहे है पर रियल लाईफ में tweet सुनना ही भूल गए. अब अगर आपको भी ये टवीट सुनना है तो घर की छत पर या आंगन में पानी से भरा बर्तन रखना पडेगा … सच मानिए भरी झुलसती गरमी मे जब पक्षी टवीट टवीट करते आएगें तो दिल को सुकून मिलेगा … भई मुझे तो उस टवीट से अच्छा ये टवीट लगता है 
PM Narendra Modis one year Twitter record: 8.5 million followers
Prime Minister Narendra Modi has garnered close to 8.5 million followers on Twitter in the span of one year, statistics from the popular micro-blogging network showed. The figures are an indicator of the Prime Minister’s efficacy on social media websites where he is very active. PM Modi remains the third-most followed world leader on Twitter after US President Barack Obama and Pope Francis. See more…
Twitter हो या सोशल मीडिया की कोई भी साईट … अच्छा है जुडे रहना चाहिए पर पक्षियों को भी पानी और दाना देते रहेंग़ें तो बहुत बेहतर होगा…
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रक्तदान महादान है
बात सन 1973 की है तब मैं हरियाणा के जींद मे रहती थी. हमारे घर के पीछे रेस्ट हाऊस था वही हम सभी कालोनी के बच्चे खेलने जाया करते थे. उस पार्क में एक छोटा सा तालाब था जो हमेशा पानी से भरा रहता था. एक शाम खेलते हुए मुझे आवाज आई कि बचाओ वो पानी मे गिर गई है . सभी भागे उसके पास और देखने लगे पता नही मुझे क्या सूझी कि मैने वहां लेट कर हाथ लंबा किया और उसे खीचं लिया. बहुत पतली दुबली सी लडकी को मैने बाहर निकाल लिया और फिर उसे उल्टा करके मुंह से पानी भी निकाला. ये समझ मुझे कैसे आई कैसे नही इसका तो याद नही पर जब हम उसे घर छोडने जा रहे थे सारे बच्चे मेरे नाम की जय जय कर रहे थे और कह रहे थे कि मोनिका ने चोची तिवारी को डूबने से बचा लिया .
आज इस बात को ना जाने कितने साल हो गए पर वो धटना मेरे मन मे जस की तस तब तक रही जब तक में कुछ ऐसे लोगो के सम्पर्क मे नही आई जो रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं. असल में, बचपन मे मैने एक लडकी की जान बचाई थी लेकिन जब से रक्तदान से जुडी. भले ही रक्तदान न कर पाई हूं पर लोगो को प्रेरित किया और रक्तदाताओ का नेट वर्क तैयार किया कि जिसे भी रक्त की जरुरत हो वो सम्पर्क करे और इस तरह से अनगिनत लोगो की जान बच रही है तो अब वो बचपन वाली बात अक्सर भूल जाती हूं
बात रक्तदान की हो तो महिलाए का जिक्र तो आता ही आता है. एनीमिया की कमी से , महिलाए रक्त दान नही कर पाती. महिलाए मासिक धर्म के दौरान या स्तन पान करवाने की वजह से भी रक्तदान नही कर पाती इसलिए सबसे ज्यादा जरुरी यह है कि महिलाए अपना खान पान सुधार ले. अपनी डाईट सही कर ले तो कम से कम उसे तो रक्त चढवाने की जरुरत न पडे और इसे के साथ साथ जो महिलाए टोका टाकी करती हैं यानि जो महिलाए अपने बच्चों या पति को रक्तदान के लिए मना करती हैं वो जागरुक हो और रक्तदान की महत्ता समझे जिसे वो लोग बिना डर के रक्तदान कर सके और जीवन बचा सके.
एनीमिया- कुछ रोचक जानकारियां-
एनीमिया- कुछ रोचक जानकारियां- डाॅ0 एक0के0 त्रिपाठी की किताब है. डाॅ0 ए0के0 त्रिपाठी जानकारी देते हैं कि एनीमिया एक रोग का नाम नहीं, वरन् अनेक रोगों या विकारों का लक्षण है। ऐसे में उपचार के लिये इसके कारणों को जानना आवश्यक है। खासतौर पर ससामाजिक सरोकार के तहत विशेषज्ञ लेकखक ने इन्हीं कारणों की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से किया है। सामान्य पाठक भी इसे रुचि के साथ पढ़ सकता है। जबकि बीमारी की बातें गम्भीर विषय वस्तु के अन्तर्गत मानी जाती है।
एनीमिया हमारे देश की बड़ी समस्या है। दो से तीन चैथाई लोग एनीमिया से पीड़ित हैं। इसमें हर वर्ग तथा उम्र के लोग शामिल हैं। लेकिन साधारण जानकारियों से इससे बचा जा सकता है। एनीमिया अर्थात् रक्त अल्पता किसी बीमारी का नाम नहीं वरन् लक्षण मात्र है। जिसमें हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी होने की वजह से शरीर में तरह-तरह की परेशानियां उत्पन्न होती हैं। स्वस्थ पुरुषों में सामान्यतः 13-16 ग्राम प्रतिशत तथा स्त्रियों में 12-14 ग्राम प्रतिशत हीमोग्लोबिन होता है। यदि हीमोग्लोबिन इससे कम हो जाए तो उसे एनीमिया कहते हैं, इससे कमजोरी आ जाती है। भूख कम हो जाती है, खाना अच्छा नहीं लगता, याददाश्त व एकाग्रता में कम आ जाती है। हीमोग्लाकबीन जितना कम होगा, शारीरिक परेशानी उतनी अधिक होगी जांच के द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है। लाल रक्त कोशिकाओं में बढ़ोत्तरी आयरन, विटामिन बी12, फोलिक एसिड, पायरीडाक्सिन बी-6, प्रोटीन आदि से हो सकती है।
पुस्तक में बताया गया है कि एनीमिया का प्रमुख कारण आयरन अर्थात् लौह तत्व की कमी है। लेखक ने इसे रोचक कहानी के माध्यम से समझाया है। लौहतत्व शरीर के लिये बहुत आवश्यक है, यह हीमोग्लोबीन के अलावा कई प्रकार के एनजाइम्स के लिये भी जरूरी है। भोजन में आयरन की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। जैसे गुड़ में चीनी की अपेक्षा आयरन बहुत अधिक होता है। खजूर, धनिया-बीज, मेथी-बीज आयरन के अच्छे स्रोत है।
आयरन द्वारा एनीमिया का समुचित उपचार किया जा सकता है। इसकी कमी आयरन की गोली से भी हो सकती है। इसकी पूरी खुराक लेनी चाहिए। पूरा कोर्स करना चाहिएं खाली पेट दवा नहीं लेनी चाहिए। आयरन की गोली खाने के एक घंटे बाद लेना चाहिए। विटामिन सी युक्त पदार्थ के साथ आयरन नहीं होना चाहिए। एक अलग अध्याय में बताया गया कि विटामिन बी-12 की कमी से एनीमिया वस्तुतः आधुनिक जीवन शैली की देन है। इसे भी कहानी के माध्यम से बताया गया। पान मसाला, तम्बाकू, शराब आदि नुकसानदेह होते हैं। इससे आमाशय एवं आंतों की अन्दरूनी सतह खराब हो जाती है, जिससे व्यक्ति बी-12 की कमी का शिकार हो जाता है। दवाओं के कुप्रभाव से भी एनीमियां होता है। दवाओं के कुप्रभाव से भी एनीमिया होता हैं अनेक दवाएं ऐसी होती है, जिनका प्रयोग करने से दुष्परिणाम रूप में एनीमिया होता है। दर्द निवारक दवा भी विशेष की सलाह के बाद लेनी चाहिए। एप्लास्टिक एनीमिया का प्रकोप भी बढ़ा है। वातावरण एवं भोज्य पदार्थों में बढ़ रहे रासायनिक प्रदूषण या दवाओं के कुप्रभाव से ऐसा हो रहा है। वृद्धावस्था या दवाओं के कुप्रभाव से ऐसा हो रहा है। वृद्धावस्था में एनीमिया से बचाव हेतु विशेष सावधानी बरतनी होती है। इसी प्रकार गर्भावस्था के दौरान भी विशेष ध्यान देना चाहिए। पर्याप्त व पूर्ण पोषण आवश्यक होता है। संक्रमण, गंदगी, हुक वर्म से भी बचाव करना चाहिए। यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है

Article- Blood Donation – Monica Gupta
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http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/8846287.cms
Blood donation facts and advantages –
रक्त दान से जुड़े तथ्य एवं इसके लाभ स्वास्थ्य की देखभाल रक्त दान से जुड़े तथ्य एक वयस्क पुरुष/स्त्री में 5-6 लीटर तक रक्त होता है| कोई भी व्यक्ति हर तीन माह में रक्त दान कर सकता है| रक्त में प्लाज्मा नामक प्रवाही होता है| 450 मि.ली. See more…
अंत में मैं यही कहना चाहूगी … रक्तदान करके देखिए अच्छा लगता है
जय रक्तदाता …
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on 5/28/2015
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FATHERS DAY
हर साल जून के तीसरे सप्ताह के रविवार को FATHERS DAY यानि फादर्स डे मनाया जाता है . पाश्चात्य संस्कृति ने चाहे हमें और कुछ सिखाया हो या नहीं, पर इन दिनों को मनाना तो सिखा ही दिया है. कोई भी दिन हो हमे बस मनाने की इंतजार रहता है. इस दिन भी नेट,सोशल नेट्वर्किगं साईट् या समाचार पत्र भरे रहते है. लोग अपने-अपने अनुभव बताने को बेताब रहते हैं, लेकिन मैं ऐसा कुछ नहीं बताऊंगी. क्योकि आज के बदलते समय में हमे बदलना बहुत जरुरी है. नही तो रिश्तों में खटास आते समय नही लगेगा.
पिता यानि पापा घर के मुखिया होते हैं. उस नाते उनके कुछ फर्ज बन जाते हैं, जिसका उन्हे सुखद भविष्य के लिए पालन करना जरुरी हो जाता है. ऐसे मे भगवान शिव का उदाहरण देना उचित होगा. जिस तरह से शिव जी ने विष का पान किया था. ना तो उसे निगला था और ना ही उसे बाहर निकाला था. बस गले में ही रखा था, वैसे ही घर के मुखिया को करना चाहिए. घर की परेशानी को ना तो बाहर किसी को बताए और ना ही उसे दिल से लगा कर बैठे. कलह हर घर में होती है, लेकिन अगर वो उसे बाहर के लोगो को बताएगे तो बात बढ़ जाएगी और अगर गले से नीचे उतार लेगे तो खुद तबियत खराब करके बैठ जाएगे.
शिव जी के माथे पर जैसे चादँ शंति का प्रतीक है, बस वैसे ही अपना दिमाग शांत रखना चाहिए. उनके मस्तक से निकली गंगा भी इसी बात की प्रतीक है कि गुस्से के पल को भी शांत होकर बिताएं. घर परिवार मे छोटे-मोटे फैसले लेते हुए मन को शांत रखें अगर खुद ही बात-बात पर चिल्लाकर बोलेगें तो घर मे कलह ज्यादा बढ़ जाएगी.बात यह भी नही है गुस्सा करना ही नही चाहिए.करे पर वो भी एक मर्यादा मे रह कर ही करें अन्याय,अनुशासन हीनता आदि के लिए अगर गुस्सा किया जाए तो मगंलकारी ही होता है.परिवार के सदस्यो के इस बात का भय होना भी जरुरी होना चाहिए कि अगर वो उचित आचरण नही करेगे तो पिता नाराज हो सकते हैं.वैसे भी तुलसी दास जी ने कहा है कि “भय बिन होहि ना प्रीति”… इसलिए परिवार का मुखिया होने के नाते कठोरता और कोमलता दोनो का सही मात्रा मे होना बहुत जरुरी है.
मुखिया का काम यह भी है कि परिवार के सब लोगों को मिला कर रखें.ठीक वैसे जैसे शिव जी का वाहन बैल, उमा का वाहन सिहं, शिव का कंठ हार सर्प, गणेश जी का मूषक और कार्तिक का वाहन मोर है पर शिव की महिमा देखिए आपस मे पुश्तैनी दुश्मनी होते हुए भी सभी एकता और प्रेम मे बंधे हुए है .मुखिया को भी इसी दिशा मे प्रयास करते रहना चाहिए कि किस प्रकार सभी को प्यार से रखा जाए. सदा इसी सोच में रहना चाहिए कि किस तरह परिवार और ज्यादा खुशहाल रह सकता है. सभी को खुश रखने की कोशिश मे रहना चाहिए.
खैर बातें तो बहुत सारी हैं, लेकिन अगर ढेर सारी बातें सोचकर न अमल करने से अच्छा है एक-दो बातों को ध्यान में रखें और उस पर हमेशा अमल करें.आज की इस दौडती भागती जिंदगी मे सकून के दो पल मिलने बहुत जरुरी है और वो तभी रहेगे जब आप खुद भी खुश रहे और परिवार को भी खुश रखे.
आप सभी को FATHERS DAY फादर्स डे की ढेर सारी शुभकामनाएं!!!
Top 10 Best Fathers Day 2015 Quotes
hey thanks for sharing such a beautiful awesome fathers day quotes will more here on my page http://www.ukfathersday.com/2015/05/fathers-day-ideas.html
Father’s Day 2015 is June 21. Here are some heartfelt quotes about the bonds between father and family. Read more…

– LiveHindustan.com
अपने घर में तुम छोटा-सा गेट-टू-गैदर रख सकते हो जिसमें पापा के करीबी दोस्तों और उनके फैमिली मेंबर्स को बुला कर उन्हें सरप्राइज दे सकते हो। See more…
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‘
“अच्छे दिन आने वाले हैं’ का नारा देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे। एक साल के दौरान उन्होंने 18 विदेश दौरे किए। कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई तो पेट्राेल-डीजल सस्ता हुआ। लेकिन फरवरी के बाद कीमतें फिर बढ़ने लगीं। मोदी का चीन दौरा खत्म होते-होते सोशल मीडिया पर उनका जादू भी कमजोर पड़ता दिखा।
Modi One Year
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किसी जमाने में बुदू बक्सा कहलाए जाने वाला टीवी का क्रेज आज लोगो के सिर चढ कर बोल रहा है. हम टीवी सीरियल से इतना धुल मिल गए है कि उसे अपनी जिंदगी का एक अहम हिस्सा समझते हैं ये बात मैं इसलिए कह रही हूं कि मेरी एक जानकार का पथरी का आपरेशन होना था. डाक्टर ने समय और जगह फिक्स कर दी पर वो जानकार बोली कि एक दिन बाद में आपरेशन रख दो क्योकि एक धारावाहिक में बहुत सही कहानी आ रही है किरदार का बच्चा होने वाला है बस वो राजी खुशी घर आ जाए तो कोई फिक्र नही …
ऐसे ही मैं अपनी सहेली को जन्मदिन का न्योता देने गई कि ठीक आठ बजे पार्टी है और आठ बजे ही केक कटेगा … इस पर वो बोली कि वो 9 बजे तक ही आ पाएगे क्योकि धारावाहिक की कहानी इतनी मजेदार और सस्पैंस वाली चल रही है कि छोड नही सकते
वही स्टाप पर बच्चे को छोडने आई मेरी सहेली की आखें सूजी हुई थी. ऐसा लग रहा था कि बहुत रोई हो. मैने पूछा तो बताया कि प्रिया को कैंसर है.. वो मर जाएगी … मैने सारा दिमाग इस्तेमाल कर लिया पर याद नही आया कि उसके परिवार में प्रिया कौन है . मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि एक साल से वो टीवी सीरियल देख रही है उसी की मुख्य पात्रा है प्रिया… हे भगवान !!! आप समझ सकते हैं कि किस तरह से टीवी का क्रेज सिर चढ कर बोल रहा है लोगो के …
वैसे कोई शक नही ये कलाकार बहुत मेहनत करते हैं और एक दिन बिलंदियों को छूते हैं और छोटे पर्दे से लेकर बडे पर्दे तक धूम मचा देते हैं

शाहरूख खान टीवी पर केवल एक छोटे कलाकार थे।. छोटे पर्दे पर “फौजी” और “सर्कस” जैसे लोकप्रिय धारावाहिक में काम करने के बाद शाहरूख ने बुलंदियों का स्वाद चखा
विद्या बालन का नाम बॉलीवुड इंडस्ट्री में ऎसी अभिनेत्रियों में शामिल किया जाता है जिन्होने अपनी फिल्म “कहानी”, “नो वन किल्ड जेसिका”, “डर्टी पिक्चर” से यह साबित कर दिया कि फिल्म सिर्फ एक्टर से नहीं बल्कि एक्ट्रेस से भी चल सकती हैं। अपने करियर की शुरूआत में लगभग 12 फिल्मों से रिजेक्ट होने के बाद छोटे पर्दे पर प्रसारित पहला शो “हम पांच” से एंट्री की जिसके बाद उन्होंने कई एड फिल्मों में भी काम किया, लेकिन किसने सोचा था कि “हम पांच” के दूसरे सीजन में राधिका माथुर का किरदार निभाने वाली विद्या लगातार 3 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम करेगी.
फिल्म “रहना है तेरे दिल में” में मैडी का किरदार कर आर माधवन ने दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया। खूबसूरत स्माइल से लाखों लड़कियों के दिल पर राज करने वाले “3 इडियट्स” एक्टर माधवन ने अपने करियर की शुरूआत बड़े पर्दे से नहीं बल्कि छोटे पर्दे के शो “बनेगी अपनी बात” से की। साउथ हिरो माधवन ने कई साउथ सुपरहिट फिल्में भी की, जिसके बाद वापस उन्होने “तनु वेड्स मनु” से अपनी धमाकेदार वापसी की
यामी गौतम, सुशांत सिंह राजपूत सबसे बड़ा उदाहरण है जिनको हम कह सकते है कि उन्होने छोटे पर्दे से बॉलीवुड का रास्ता बनाया है। सुशांत लंबे समय तक धारावाहिक “पवित्र रिश्ता” में नजर आए जिसके बाद उन्हें फिल्म “काई पो छे” का ऑफर मिला
राजीव खंडेलवाल का नाम सामने आते की सबसे पहले दिमाग में “सच का सामना” रियलिटी शो का नाम याद आता है
एकता कपूर की सबसे पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में प्राची देसाई का भी नाम शामिल धूम मचाओ धूम”, “किस देश में है मेरा दिल”, “गीत” जैसे धारावाहिक में नजर आ चुके टीवी एक्टर जय भानुशाली गुरमीत चौधरी टीवी में धरावाहिक “रामायण” में भगवान राम के रोल में नजर आए जिसके बाद वह रोमांटिक शो “गीत” में भी नजर आए। साथ ही वह “पुर्न विवाह” में भी नजर आए। गुरमीत”झलक दिखला जा” और नच बलिए डांसिग शो में नजर आ चुके हैं। हाल ही एक्टर ने महेश भट्ट की फिल्म “खामोशियां” से बॉलीवुड में डेब्यू किया. टीवी धारावाहिक “बालिका वधु” के शिव से पॉपुलर हुए एक्टर सिद्धार्थ ने “जाने पहचाने से ये अजनबी”, “लव यू जिन्दगी”, “बाबुल का आंगन छूटे ना” धारावाहिक में काम किया जिक के बाद वह डांस शो “झलक दिखला जा” में नजर आए.
Successful TV stars outstanding debut in Bollywood – 10
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तो देखा टीवी का क्रेज किस तरह से सिर चढ कर बोल रहा है . वैसे इन सीरियल को देखना जरुर चाहिए पर ज्यादा सीरीयसली भी नही … ह हा हा !!! है ना !!!
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Selfie Selfie ..मोदी सरकार का एक साल पूरा हो गया है. वही आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल के 100 दिनों से मोदी सरकार के 365 दिनों की तुलना की जा रही है. ऐसे में चिंता होनी ही स्वाभाविक है क्योकि कुछ जनता मोदी सरकार से नाखुश है और कुछ केजरीवाल से नाखुश … ऐसे में Selfie से पूछा जा रहा है कि हे Selfie तू बता कि मुझ से बेहतर है कोई …
Narendra Modis selfie with Li Keqiang
Indian prime minister Narendra Modi just tweeted another selfie—not so surprising given his love for the photo format. But who it was with, and where it was taken, are somewhat shocking. See more…
Narendra Modi takes his selfies …
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बेशक, आप कुछ भी कहे पर Selfie Selfie का जादू सभी के सिर चढ कर बोल रहा है … चलिए अब मैं भी चली सैल्फी लेने … ह ह हा पर इतना यकीन है कि अगर 20 सैलफी लूगी तो मुश्किल से एक अच्छी आएगी 
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Youth and depression सुनकर आपके मन में भी बहुत बातें आ रही होगीं. क्या होता जा रहा है आज के युवा को !! सोच कर ही धबराहट होने लगती है. सोनम शर्मा का बेटा पढाई में बहुत अच्छा है. हाल ही में उसका 12वी क्लास का नतीजा आया और उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया. नतीजा मेरे हिसाब से बहुत अच्छा था 89.6 % अंक आए थे पर इस शर्म के मारे की लोग क्या कहेंगें. इतने कम अंक लाया है. आगे अच्छे कालिज मे दाखिला कैसे होगा इसी चिंता में खुद को कमरे मे बंद कर लिया और मोबाईल भी स्वीच आफ कर दिया. अगले दिन जब तक उसने दरवाजा नही खोल दिया. सोनम की जान अटकी रही उसे डर सिर्फ इसलिए कि उनका बेटा कुछ गलत कदम न उठा ले.
इसके बहुत कारण हो सकते हैं जिसमे से एक है माता पिता की बच्चों से बह्त ज्यादा उम्मीदें वो सोचते हैं कि बच्चे पर बहुत पैसा खर्च किया है अच्छी से अच्छी कोचिंग दिलवाई है इसलिए अच्छे अंक तो आने ही चाहिए. बच्चा उस उम्मीद को पूरा नही कर पाता और निराशा में चला जाता है. एक बात यह भी हो सकती है कि एकल परिवार का होना और माँ-बाप, दोनों का कामकाजी होना. यही बात बच्चों को एकांकी और चिड़चिड़ा बना देती है आखिर विचार-दर्शन उन्हें कौन करायेगा, माता पिता अपने आफिस कार्य मे व्यस्त हैं और युवावर्ग चौराहे पर खड़ा है. वे जायें तो किधर जायें । अपनी जीवन-गति का निर्माण करें, तो किस प्रकार करें कौन बतायेगा कौन सही राह दिखाएगा.
एक बात यह भी हो सकती है कि पेरेंटस हद से ज्यादा जरुरत से ज्यादा बच्चे का ख्याल रखते हैं पर इसी के साथ साथ बच्चे की इच्छा जाने बिना वो बच्चे पर अपनी इच्छा लादने या थोपनें की कोशिश करते हैं जिससे बच्चा अपना शत प्रतिशत नही दे पाता और जिंदगी मे ईम्तेहान में लगातार फेल होता जाता है.
फिर बात आती है हमारे समाज की. परीक्षा के दौरान नकल, रिश्वत खोरी, पेपर लीक आदि का होना भी युवा मे depression ,आक्रोश भर देता है और ईमानदारी से मेहनत करने वाला युवा सिस्टम को देख कर अपना हौंसला छोड देता है.
इन सब के साथ साथ संगत बहुत ज्यादा असर डालती है. बिगडे हुए रईसों के साथ दोस्ती करके और नशे में डूब कर अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं. खुद को स्मार्ट और मार्डन दिखाने के चक्कर में नशा करना वो जिंदगी का अभिन्न अंग मानने लगते हैं और इसके साथ साथ सबसे बडा फेक्टर है धैर्य की कमी और यही आज के युवाओं की सबसे बड़ी कमजोरी है. धैर्य की कमी के कारण आज का युवा सब चीज बस जल्द से जल्द पाना चाहता है. आगे बढ़ने के लिए वे कड़ी मेहनत करने की बजाय शॉर्टकट्स यानि आसान रास्ता ढूंढने में लगे रहते हैं. कम समय में सारी आधुनिक चीजों को पाने के लालच में उनमें समझदारी की कमी नजर आती है। भोगविलास के आदी युवा में लगन, मेहनत, जोश, उमंग और धैर्य की कमी हो गई है.
Youth depression में होता है तो पूरा परिवार मानों depression मे चला जाता है. बहुत जरुरी है आज के युवा के साथ समझदारी से बात करना. उसकी मन की भावनाओं को समझते हुए उसके हिसाब से बात करना.
Youth depression a concern for counselors
Substantial levels of “loneliness, anxiety and depression” among Cayman’s youth, identified in a series of health surveys came as no surprise to counselors in the territory. Read more…
New Strategies to Treat Depression in Youth
Two new strategies have been developed by Johns Hopkins researchers to treat depression in young patients using serotonin reuptake inhibitors (SSRIs) while mitigating the risks and potential negative effects such as increased suicidal thoughts. The strategies are published in Translational Psychiatry. See more…
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समय प्रबंधन की विशेषज्ञ एवं चर्चित किताब ‘व्हाट द मोस्ट पीपल डू बिफोर ब्रेकफास्ट’ की लेखक लौरा वंदेरकम लिखती हैं कि अगर आप किसी चीज को करना चाहते हैं तो आप उसे सबसे पहले करिए। हमारे बीच के लोग जो आज सफलता की सीढ़ियां चूम रहे हैं एवं जिंदगी की सफलता का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं वे इसी फिलॉसफी पर चलते हैं See more…
Youth and depression में कुल मिला कर बात का निचोड यही है कि बजाय चिंता मे जाने मे अपने भीतर गुणों को विकसित करें. पीपल स्किल यानि नेतृत्व का गुण, अपना व्यवहार और दूसरों को प्रेरित करने की कला खुद में डालिए. खुद को एक शानदार पैकेज बना डालिए और भेड चाल और भीड से हट कर चलने का प्रयास कीजिए. समय को महत्व देते हुए आप अपने प्रयासों मे जुटे रहिए … और वो फिल्मी डायलाग है ना कि किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलवाने में जुट जाती है तो भागाईए डिप्रेशन विप्रेशन को क्या बला है ये और नए उसाह, नए जोश और नई उमंग से उठ खडे होईए
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पुस्तक “पाठक मंच न्यूज बुलेटिन”(नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित) अंक- मई “खेल खेल में “नामक लेख में सिरसा के अमन मिढ्ढा से बातचीत…
सिरसा में रहने वाले अमन ने एक मिसाल कायम की है. दसवीं क्लास में पढने वाले अमन ने लगातार पांच साल में एक बार भी स्कूल से छुट्टी नही ली.शत प्रतिशत उपस्थिती …है ना हैरानी वाली बात .. इस बेमिसाल उपलब्धि के लिए सेंट जेवियर्स स्कूल ने अमन को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. अमन उन बच्चों के लिए प्रेरणा है जो स्कूल जाने के नाम से कतराते हैं और बहाना बना कर स्कूल बंक करते हैं. अमन ने हर क्लास मे प्रथम स्थान प्राप्त किया है. हम सभी को अमन से सीख लेनी चाहिए. खुशी इस बात की भी है कि अब अमन के छोटे भाई नमन ने भी भाई की कदमो पर चलना शुरु कर दिया है.
बहुत बहुत शुभ कामनाएं अमन, नमन और परिवार में उनके मम्मी पापा और दादा जी को जिन्होने बच्चों को हमेशा उत्साहित किया…
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