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1. राधे राधे

 

cartoon on radhey ma by monica gupta

राधे राधे …

अक्सर जब बडे बुजुर्ग मिलते हैं तो राम राम या राधे राधे करते हैं … ये उनके अभिवादन का तरीका है पर जिस तरह से आज कल इन ढोगी बाबाओ या देवियों की पोल खुल रही है जनता का इन पर से विश्वास ही उठता चला जा रहा है … बेशक अफसोसनाक बात है कि हम लोग पढे लिखे होकर भी ऐसी बातों को बढावा देते हैं और सबसे ज्यादा न्यूज चैनल पर हैरानी है कि अच्छी भली खबरे छोड कर, मात्र टीआरपी बढाने क्योकि खबर मे  अश्लीलता रुपी ग्लैमर का तडका जो लगा है , पीछे पडा है …

 

 IBN Khabar

राधे मां पर आरोप लगते रहे है कि वो सिर्फ आशीर्वाद देने में ही नहीं, बल्कि तंत्र मंत्र में भी निपुण हैं। बताया जाता है कि मुकेरिया में डकोर खालसा के बैरागी संत बीरमदास के संपर्क में आने के बाद उन्होंने तंत्र-मंत्र में अपना ज्ञान बढ़ाया। मुंबई पहुंचने से पहले मुकेरिया में गुरबत के दिन काट रहीं, राधे मां उर्फ सुखविंदर कौर उर्फ पप्पू लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए तांत्रिक क्रियाएं भी करती थीं। इसी तंत्र-मंत्र और तांत्रिक क्रियाओं ने उन्हें ख्याति दिलाई और मुंबई का रास्ता दिखाया। Via ibnlive.com

 

  ABP News

पंजाब के बिजली विभाग में काम करने वाले सरदार अजित सिंह के घर तीन मार्च 1969 को राधे मां का जन्म हुआ था. बचपन में राधे मां को घर वाले प्यार से गुड़िया बुलाया करते थे लेकिन जब उनका दाखिला गांव के ही स्कूल में करवाया गया तो उनका नाम बदलकर सुखविंदर कौर रख दिया गया था. दोरांगला के गवर्मेंट एल एस एम सीनियर सेकेंडरी स्कूल से राधे मां ने दसवीं तक की पढ़ाई की है. राधे मां को बचपन के दिनों से जानने वाले उनके भक्त विवेक पाठक उनके स्कूल की ये कहानी कुछ इस तरह बयान करते हैं.

दोरांगला के मोहल्ले की गलियों में राधे मां उर्फ सुखविंदर कौर का बचपन खेलते कूदते हुए गुजरा है. राधे मां को करीब से जानने वाले बताते हैं कि बचपन से ही उनका मन धार्मिक कामों में ज्यादा लगता था. राधे मां के पिता का ये दावा भी है कि बचपन में राधे मां उनके घर के सामने बने मंदिर में अपना ज्यादातर वक्त गुजारा करती थी. राधे मां के परिवार के करीबी रहे विवेक पाठक बचपन के अपने दिनों को याद कर बताते हैं कि सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां कम उम्र से ही भविष्यवाणियां भी करने लगी थी.

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