दूध में डिटर्जेंट मैगी का मामला अभी ठंडा भी नही पडा था कि अब मदर डेयरी का दूध आ गया. बेशक बेहद चौकानें वाली खबर है पर हमारी इस पात्रा को तो देखिए ये सोच रही हैं कि चलो अब दूध से ही कपडे धो लिया करेंगे … एक पंथ दो काज … !!
मजाक की बात अलग है पर आप इन खबरों को विस्तार से पढिए
http://www.jagran.com/news/national-mother-dairy-milk-found-ditrgent-and-refined-12489700.html
दूध में मिला डिटर्जेंट
सोमवार को दोनों नमूनों की रिपोर्ट एफएसडीए को मिल गई। दूध का पहला नमूना अधोमानक निकला है। बेट्रो रीफेक्ट्रोमीटर पर दूध को 40 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म किया गया, तो उसमें फैट की मात्र 43.9 फीसद मिली है, जो 40 से 43 के बीच होनी चाहिए। इसी तरह दूसरे नमूने में भी फैट की मात्रा तो ज्यादा है ही, उसमें डिटर्जेट भी मिला है। निरीक्षक एएस गंगवार ने बताया कि बाह व फतेहाबाद क्षेत्र में दर्जनभर से ज्यादा चिलिंग प्लांट हैं। सभी चिलिंग प्लांट व कलेक्शन सेंटर से दूध के नमूने लिए जा रहे हैं।
दूध में डिटर्जेंट
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यह मिलावट हमारे-आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है, जिससे सतर्क रहना जरूरी है. मिलावट का पता लगाने के लिए नमूनों को प्रयोगशाला भेजना और उनकी रिपोर्ट हासिल करना तो एक लंबा प्रोसेस है. लेकिन कुछ पदार्थों की जांच घरेलू तरीके अपनाकर भी कर सकते हैं. जैसे हम दूध की मिलावट की जांच की बात करें तो… दूध में मिलावट पहचानने के तरीके डिटर्जेंट की मिलावट : अगर दूध में डिटर्जेंट की मिलावट की जांच करनी हो तो नमूने के तौर पर 10 मिलीलीटर दूध और पानी लें. अगर दूध में झाग आ जाए तो समझ लें कि उसमें डिटर्जेंट की मिलावट है. सिंथेटिक मिल्क की पहचान : सिंथेटिक मिल्क की पहचान ये है कि उसका टेस्ट कड़वा होगा, जब आप उसे उंगलियों के बीच रगड़ेंगे तो साबुन जैसा महसूस होगा और जब गर्म करेंगे तो दूध का रंग पीला हो जाएगा. यूरिया की मिलावट : ज्यादातर दूधिये यूरिया मिलाकर दूध बेच जाते हैं. अगर दूध में यूटेज इन्जाइम मिल्क, 5-6 बूंद पोटेशियम कार्बेनाइट डाले, अगर दूध का रंग रेडिस येलो हो जाता है, तो समझ लें यूरिया मिली हुई है. स्टार्च की मिलावट : दूध में 5-6 बूंद आयोडीन डालने से यदि दूध का रंग नीला हो जाता है तो समझ लें कि इसमें स्टार्च मिलाया गया है. See more…
दूध में डिटर्जेंट
Harit Khabar
किसी भी प्रकार की खाद्य सामग्री में मिलावट का शक होने पर प्रारंभिक जांच एफडीए (Food and Drug Administration) के अधिकारी करते हैं। ये अधिकारी दुकान या उस जगह पर जहाँ कथित मिलावटी खाद्य पदार्थ बन रहा है, से नमूने इकठ्ठा कर आगे की जाँच के लिए प्रयोगशाला में भेजते हैं। पर एफडीए के अधिकारियों का कहना है कि वह हर जगह जा-जा कर ऐसा कर नहीं सकते क्योंकि एक तो केवल शक के आधार पर वे कितनी जगहों से नमूने इकठ्ठा करें? दूसरा, एफडीए के पास साधनों की कमी है और तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विभाग के पास अधिकारियों की भी इतनी अधिक संख्या नहीं है कि आसानी से हर संदिग्ध जगह से नमूने लिए जा सके। See more…
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