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1. बाल कहानी अहसास

बाल कहानी  अहसास

 writing on paper photo

 

प्रिय मम्मी, मुझे समझ नहीं आ रहा कि आपको क्या और कैसे लिखूं पर मुझे माफ कर दो। मेरी उन गलतियों की जोकि मैंने की और आपको तंग किया। आप आज अस्पताल में मेरी ही वजह से हैं, लेकिन सच मानो, मेरा न तो कोर्इ गन्दा दोस्त है और न ही मैं इंटरनेट या टी.वी. देखकर बिगड़ा हूं। मुझे खुद भी नहीं पता कि मैं ऐसा क्यों हो रहा हूं। वैसे तो मैंने बहुत गलतियां की हैं पर कुछ एक के लिए मैं ………………!आपको याद होगा कि एक दिन आपने मुझसे बार-बार पूछा था कि चुप-चुप क्यों हूं। असल में मैंने जानबूझ कर अनिल को बाल मारी थी। उसे आँख के नीचे सात टांके लगे थे। नोटिस मिला कि आपको बुलाया है तो मैंने झूठ-मूठ अपनी तरफ से ही लिख दिया कि मैं बीमार हूं इसलिए आ नहीं सकती। आपके सार्इन भी कर दिए थे। झूठ के हस्ताक्षर किये थे ना इसलिए डर रहा था कि सच्चार्इ पता लगेगी तो मैं फँस ही ना जाऊँ। एक बार जब आपने मेरी पसन्द का खाना नहीं बनाया तो मैं मुंह फुला कर अपने कमरे में चला गया था।

सन्नी लिख ही रहा था तभी दरवाजे की घंटी बजी। सन्नी ने फटाफट अपनी चिठ्ठी तकिए के नीचे छिपा दी और दरवाजा खोलने चला गया। बाहर सन्नी के दादा जी खड़े थे। वो अन्दर आ गए और बोले कि उसकी मम्मी को ग्लूकोज लग रहा है, ब्लड़ प्रेशर बहुत कम है। एक घण्टे में उसके पापा खिचड़ी लेने आएंगे। चाची बनाकर तैयार रखेगी। सभी ने हामी की मुद्रा में गर्दन हिला दी। चाची मम्मी की बीमारी के कारण कुछ दिनों के लिए यहां आर्इ हुर्इ हैं, पर चाची को अपने बेटे नमन के अलावा कोर्इ दिखता ही नहीं, सन्नी से तो वो सीधे मुंह बात ही नहीं करती। कल मैगी बनार्इ और चाकलेट केक बनाया तो सारा अकेले ही नमन ही खा गया। सन्नी सोच रहा था कि मम्मी होती तो उसका कितना ख्याल रखती। सन्नी ने दादाजी को बताया कि उसकी चाची अभी बाजार गर्इ हुर्इ है। आने वाली होगी।

दादाजी अपना न्यूज चैनल लगा कर बैठ गए। सारा घर कितना गंदा हो रहा था। उसकी मम्मी सारा दिन घर कितना साफ रखती थी। सन्नी अपनी बात मम्मी तक चिठ्ठी के माध्यम से पहुंचाना चाह रहा था। उसे डर लग रहा था कि वो जल्दी से चिठ्ठी लिखे, और वो उड़ कर उसकी मम्मी तक पहुंच जाए और मम्मी उसको माफ करके ठीक होकर जल्दी से घर आ जाए।
सन्नी की मम्मी सन्नी को बहुत प्यार करती थी। पर जबसे सन्नी आठंवी क्लास में आया है तभी से कुछ बदल गया है। सीधे मुंह बात नहीं करता, उलटे सीधे जवाब देता, मम्मी कोर्इ घर का काम कहती तो साफ मना कर देता। मम्मी ने कर्इ बार प्यार से तो कर्इ बार गुस्से से समझाया पर उसने कभी समझने की कोशिश नहीं की। लेकिन आज शायद मम्मी को अस्पताल तक ले जाने का दोषी शायद वो खुद ही है।
सन्नी जल्दी से चिठ्ठी लिख कर मम्मी तक पहुंचाना चाहता था। वो चाह रहा था कि जब अस्पताल में मम्मी के लिए खिचड़ी जाए तो वो चिठ्ठी भी चली जाए। उसकी चाची भी बाजार से आ गर्इ थी और बर्तनों की उठा-पटक तेज हो गर्इ।
सन्नी अपने कमरे में गया और तकिए के नीचे से चिठ्ठी निकाली ………….. कमरे में चला गया था। उसने आगे लिखना शुरू किया …………. मम्मी, आपने बहुत मनाया और रात को होटल से खाना मंगवाने का वायदा भी किया पर मैं मुँह बना कर ही पड़ा रहा और उसी शाम मैंने आपके पर्स से पाँच सौ रूपये चुरा लिए थे। आप तो मेरे ऊपर शक कर ही नहीं सकती थी और काम वाली बाई तुलसी को आपने काम से निकाल दिया। वो बेचारी रोती रही कि उसने चोरी नहीं की ……….। उसके बाद आपने दूसरी कामवाली भी नहीं रखी और मैंने भी आपको सच्चार्इ नहीं बतार्इ। एक बार संजय अंकल आए थे तो मैंने उनकी सिग्रेट भी पी थी पर थोड़ी सी।
जब आप हर रोज सुबह मुझे स्कूल जाने के लिए उठाती, मुझे दूध देती और मेरे बालों को सहलाती तो मुझे बड़ा गुस्सा आता कि क्या है, सुबह-सुबह मेरी नींद खराब कर देती हैं ……….. काश मम्मी की तबियत ही खराब हो जाए ताकि न मुझे दूध पीना पड़े और न ही स्कूल जाना पड़े। सारा दिन घर पर मजे से बैठ कर टी.वी. देखूं। पर मम्मी, सच, आज आपको अस्पताल गए चार दिन हो गए हैं। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि चालीस दिन हो गए हैं।

मम्मी, आपकी बहुत याद आ रही है अब प्लीज, घर आ जाओ। मेरी सारी गलतियों की सजा पिटार्इ करके दे दो। सन्नी के लिखे अक्षर धुंधले हो गए। पर वो जल्दी से चिठ्ठी लिखकर उसे मम्मी तक पहुंचाना चाह रहा था इसलिए उसने फटाफट आँसू पोंछे और लिखना जारी रखा।
मम्मी, मैं आपसे माफी मांगता हूं और वायदा करता हूं कि जितना प्यार से आप मुझसे बात करती हो उससे भी ज्यादा प्यार से रहूंगा आपका कहना मानूंगा और आपके हाथ से सुबह-सुबह दूध पी पीऊंगा। मम्मी पता है आज मैं मंदिर भी गया था वहां से चरणामृत पीकर आपकी तबियत की भगवान से विनती की कि हे भगवान जी, मेरी मम्मी को फटाफट ठीक कर दो।
तभी आवाज आर्इ कि उसकी चाची ने सारा सामान टोकरी में रख दिया है। सन्नी के पापा भी घर आ गए थे बोले कुछ तबियत ठीक है। उसने फटाफट कागज मोड़ कर उस पर ‘सिर्फ मम्मी के लिए लिख दिया और प्लेट के नीचे नैपकिन के ऊपर अपनी चिठ्ठी को धड़कते दिल से रख दिया। मम्मी का हँसता चेहरा बार-बार उसे नज़र आ रहा था।
पापा जल्दी में थे और चले गए। सन्नी डर रहा था। मम्मी पढ़ेगी तो क्या सोचेगी ……….. अगर उस चिठ्ठी को किसी और ने पढ़ लिया तो ……….!!
पर अब कुछ नहीं हो सकता था चिठ्ठी जा चुकी थी। सन्नी को खुद पर गुस्सा आने लगा कि उसने इतनी जल्दी में चिठ्ठी क्यों दे दी। ना नीचे ढ़ंग से अपना नाम लिखा। बिना खाना खाए अपना कमरा ठीक करके वो चुपचाप सो गया। चाची एक बार उससे खाने का पूछने आर्इ लेकिन उसके मना करने पर उन्होंने दुबारा उससे पूछा नहीं। बस, अब सन्नी मन ही मन चाह रहा था कि मम्मी जल्दी घर आ जाए …………. तो वो कभी भी मम्मी को तंग नहीं करेगा। उधर उसे चिठ्ठी का भी डर लग रहा था कि मम्मी उसके बारे में क्या सोचेंगी। वो मन ही मन चाहने लगा कि मम्मी वो कागज देखे ही नहीं और खाना वापिस आने पर वो उस चिठ्ठी को फाड़ कर फैंक देगा। और हमेश के लिए अच्छा बच्चा बन जाएगा। यह बात भी बिल्कुल सच है कि उसकी मम्मी बहुत प्यार करती थी और जब वो बतमीजी से बोलता, कहना नहीं मानता तो वो उसकी बातें दिल से लगा लेती उधर से काम वाली बार्इ के जाने के बाद वो सारा काम खुद करने लगी। टैन्शन और काम के बोझ से अचानक उनकी तबियत बिगड़ गर्इ और अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। आज सन्नी को महसूस हो रहा था कि वो मम्मी के बिना  कुछ भी नहीं। पापा तो काम में ही व्यस्त रहते हैं और दादी-दादा गाँव में रहते हैं चाची-चाचा दूसरे शहर में रहते हैं।
यहीं सोचते-सोचते वो सो गया। शाम को आँख खुली तो पापा की आवाज आ रही थी कि अस्पताल में उन्होंने खाना नहीं खाया। पर तबियत बेहतर है शायद कल घर ही आ जाए। सन्नी उठ कर बाहर भागा। उसने टोकरी में देखा तो चिठ्ठी वैसी ही रखी मिल गर्इ शायद किसी ने पढ़ी ही नहीं थी। सन्नी ने फटाफट टोकरी से वो चिठ्ठी निकाल कर उसे अपनी अलमारी में छिपा दिया। सोच कि समय मिलने पर फैंक दूंगा।
मम्मी कल घर आ जाएगी तो आज घर का माहौल कुछ हलका था। सन्नी सभी से बात कर रहा था और चाची के साथ घर की सफार्इ भी करवा रहा था। उसमें एक नया जोश भरा था।
बड़ी मुशिकल से दिन बीता। दोपहर को मम्मी घर आ गए। वो बहुत कमजोर लग रही थीं। सन्नी ने मम्मी को फल काट कर दिए। शाम को मम्मी के पास ही लेटा रहा था। एक-दो दिन में चाची और दादा जी भी चले गए थे। मौका मिलते ही उसने वो चिठठी भी फाड़ कर फैंक दी थी। मम्मी अब काफी ठीक होने लगी थी।

पर एक बात सन्नी को कभी पता नहीं लगेंगी कि उस दिन मम्मी ने उसकी चिठ्ठी पढ़ ली थी लेकिन सन्नी को महसूस तक नहीं होने दिया ताकि उसे दुख न हो कि उनके बेटे ने कितने गलत काम किए हैं। पर अब उसने गलती सुधार ली है और वायदा किया है तो उनके लिए यही बहुत था। उस दिन अस्पताल में चिठ्ठी पढ़ने के बाद उनसे खाना नहीं खाया गया और सन्नी की बाल सुलभ भावनाओं को समझते हुए चिठ्ठी उसकी जगह पर रखकर उन्होंने वापिस भिजवा दी थी। घर में ये बात किसी को भी पता नहीं चली।
अब सब ठीक है। सन्नी अच्छा बच्चा बन गया है। मम्मी का कहना मानता है और स्कूल में किसी से झगड़ा नहीं करता। सन्नी खुश है कि मम्मी ने उसकी चिठ्ठी नहीं पढ़ी और मम्मी खुश है कि सन्नी ने चिठ्ठी में अपनी सारी गलितयों को मानकर माफी माँग ली है और अब वो सुधर रहा है। तुलसी ने भी काम पर आना दुबारा से शुरू कर दिया। सन्नी ही उसे लेकर आया। मम्मी के पूछने पर सन्नी ने बताया कि जब आपकी तबियत बिल्कुल ठीक हो जाएगी तब दुबारा हटा देना। मम्मी ने सब जानते-बूझते उससे कुछ नहीं कहा और मेरा अच्छा बेटा कहकर उसे बाँहों में ले लिया।

कहानी आपको कैसी लगी… आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार है :-)

 

 

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