बस हवाओ से होती रही बातें,
कदम यह ज़मीन में कब रखे,
टकराया धरती से जो एक बार,
मॅन में अल्फ़ाज़ मैने तब रखे
इंद्रधनुष से दिखने वाले है जो,
बेरंग ज़िंदगी का ढंग वो रखे,
बरखा से मिलने जो मैं जाऊं,
जलते सूरज का संग वो रखे,
सपनों की सुंदर, उस नगरी से
कोसो दूर का रिश्ता, वो रखे,
कोई जो जाए, चंदा के पार,
न कोई ऐसा फरिश्ता, वो रखे,
इसलिए बस मौन ही रहता हूँ,
दिल की बात, दिल कब रखे,
हर तरफ है, मुखौटे ही मुखौटे,
दोस्त बनने की चाहत, कब रखे
समंदर से पूछ लेता हूँ अक्सर,
शांति की आस ये मन, कब रखे,
बंद है सब खिड़की और दरवाज़े,
रोशनी की आस ये तन, कब रखे ||
0 Comments on आस as of 9/26/2016 1:52:00 PM
Add a Comment