लेखिका से कार्टूनिस्ट तक का सफर
लेखिका से महिला कार्टूनिस्ट तक का मेरा सफर भी ….बात बचपन के उन दिनों की है जब घर पर या किसी सहेली या जन्मदिन होता तो मैं कार्ड बना कर दिया करती. उन दिनो कार्डस का बहुत प्रचलन था मेरी कोशिश यह रहती कि कटिंग वाले कार्डस बना कर दूं और सभी पसंद भी करते थे. फिर समय बीता और कार्ड बनाने का शौक जारी रहा. कालिज मे आने के बाद अखबार द ट्रिब्यून में “You said it” नामक कार्टून आया करता था. अखबार सुबह सुबह आ जाता था और मैं फटाफट वैसा कार्टून बना कर कालिज ले जाती और प्रिन्सीपल के कक्ष के सामने वाल मैगजीन मे लगा देती. एक दिन उन्होनें ( शांति मलिक ज़ी) ने मुझे बुलाया और पूछा कि क्या तुम बनाती हो? एक बार तो मैं डर गई सोचा कि आज तो गए काम से डांट पडेगी पर मेरे हां कहने पर कि मैं अखबार से देख कर बनाती हूं उन्होनें शाबाशी दी और बोला कि बनाते रहा करो… उस दिन तो मानो मेरे पंख ही लग गए थे. खैर समय बीतता रहा और होस्टल जाने के बाद, पढाई मे लग कर कार्टून वार्टून सब भूल गई.
फिर बहुत समय बीत गया. इस बीच लेखन तो चलता रहा पर चित्र बनाना सब रह गया और अन्य कार्यों जैसे आकाशवाणी , दूरदर्शन, डाक्यूमैंट्री, स्क्रिप्ट लेखन , वायस ओवर, अपने बनाए टीवी प्रोग्राम और फिर ज़ी न्यूज की संवाददाता और किताबे लिखने आदि में बहुत व्यस्त हो गई. पर इतना जरुर है दोनो बच्चे बहुत ही अच्छी चित्रकारी करते और कई बार ईनाम भी मिलता तो खुशी के साथ गर्व भी होता.
समय और बीता लेखन जारी रहा किताबें भी आ गई और एक पहली ही किताब ” मैं हूं मणि ” को हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से सन 2012 में बाल साहित्य पुरस्कार भी मिला.
फिर मुझे पता लगा ओरकुट कुछ है उससे पहले की उसे जान पाती…. पता चला कि फेसबुक शुरु हुआ है. फिर उसमे शामिल हो गई. इसी बीच नव भारत टाईम्स में भी अपना ब्लाग बना लिया और साथ साथ अपना ब्लाग भी बना लिया.
फेसबुक पर एक दो कार्टूनिस्ट मित्र बने और मुझे अपना समय याद आ गया. एक दिन हिम्मत करके एक कार्टून डाल ही दिया. यह बात …… मैने सोचा भी नही कि पाठको को अच्छा लगेगा… बस फिर तो मैं रुकी नही. जब कोई आईडिया आता बना लेती और डाल देती. मुझे पता था कि मेरी चित्रकारी कोई बहुत अच्छी नही है पर सोचा शौक तो है और दूसरा ये कि इसी बहाने प्रैक्टिस ही होती जाएगी …
फेसबुक पर जनवरी 2011 में डाले कार्टून
फिर एक प्रतियोगिता आयोजित की गई… A day in the life of India….. इसमे मैने लगातार कार्टून भेजे और कम से कम 50 कार्टून शार्ट लिस्ट हुए. मेरे विचार से किसी नए कलाकार के लिए इससे अच्छा प्रोत्साहन हो ही नही सकता.
फिर नव भारत टाईम्स के ब्लाग मे डालने शुरु किए तो वहां से भी बहुत अच्छा रिस्पांस मिलता चला गया. एक दिन फेसबुक मित्र का मैसेज आया कि आपका कार्टून दैनिक जागरण मे प्रकाशित हुआ है.. लेख, हास्य, व्यंग्य तो बहुत प्रकाशित होते रहते थे पर कार्टून का छपना मेरे लिए बेहद खुशी का पल था. उसके बाद 2012 से मेरे कार्टून नियमित तौर से दैनिक जागरण के मुद्दा मे प्रकाशित होने लगे… ये लगभग डेढ साल तक आए. हर बृहस्पति वार ये प्रकाशित होता था.
इसी बीच अन्य समाचार पत्रों जैसाकि नभछोर में नियमित कालम{ नजरिया} के नाम से छपना शुरु हुआ जिसमे नियमित रुप से ढेरों कार्टून आते चले गए…
ये सब चल ही रहा था तभी निमंत्रण मिला Cartoonist Exhibition का
बात 29 Oct. 2012 की है .Government Of Kerala की ओर से राष्ट्रपति भवन के आडिटोरीयम में केरल कार्टून अकादमी ने late shree P.K.S. Kutty की याद में एक पुस्तिका का विमोचन किया। विमोचन श्री प्रणव दा ने किया। राष्ट्रपति भवन में 12 बजे कार्यक्रम आरम्भ हुआ कार्यक्रम करीब 2 घटे तक चला .इस अवसर पर श्री प्रणव दा ने भी अपने अनुभव सभी को बताए . देश भर से आए जाने माने कार्टूनिस्ट ने इसमे भाग लिया। अवसर पर Exhibition भी लगाई गयी। जिसे दादा ने बहुत सराहा सच में, सभी जाने माने कार्टूनिस्ट से मिलना,रूबरू होना सुखद अनुभव रहा …
हालाकिं प्रणव दा के लिए कार्टून बनाया पर दे न सकी पर वो अनुभव अभी भी मेरी आखों मे मौजूद है..
लगातार कार्टून बना रही हूं. कई बार ठीक तो कई बार अच्छे बन जाते हैं. इस बीच कई अखबारों मे कार्टून आने शुरु हो गए. नेट व अन्य अखबारों के साथ साथ कई बार दैनिक भास्कर में भी प्रकाशित हुए और हो रहे है…
तब से लगातार कार्टून बना रही हूं इस बीच काफी पत्र पत्रिकाओं में भी भेजती रहती हूं पर मुझे लगता है कि नेट अपनी बात कहने का सबसे अच्छा माध्यम है आज अगर मैं समाचार पत्रों पर ही निर्भर करती तो शायद कभी बना ही पाती पर ब्लाग और फेसबुक ने नई पहचान दी और पाठको का कार्टून पर महज लाईक करना ही नया आत्मविश्वास पैदा करता चला गया…
आज के कुछ कार्टून …
इसके इलावा 25 June to 27 June, 2015 को A unique, major exhibition of cartoons and caricatures featuring Charlie Chaplin by 200 cartoonists.जोकि Piramal Gallery, National Centre for the Performing Arts (NCPA), Nariman Point, Mumbai मे आयोजित हुई. उसमे भी हिस्सा लिया…
और अगर आप गूगल सर्च करेंगें तो आपको ढेर सारे कार्टून देखने को मिलेंगें …
बेशक, मुझे अपने पहले के बनाए कार्टून देख कर हंसी आती हैं कि कितने बुरे बनाती थी … पर ये तो चलता ही रहेगा और चलता ही रहना चाहिए … मेरे विचार से हम जिस भी काम में जुटे वो सच्चे मन और ईमानदारी से करते रहना चाहिए सफलता कभी न कभी जरुर मिलेगी … !!!
थैक्स गूगल , फेसबुक गूगल प्लस, टवीटर, पिनट्र्स्ट और नव भारत टाईम्स ब्लाग के साथ साथ उन सभी का जिन्होनें मुझे हमेशा मुझे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से प्रेरित किया और कर रहे हैं …
सफर जारी है….!!!
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